Short Motivational Story
20 https://youtu.be/waFRrZe3T9g?si=qtuV9jguqImeJwQR
एक समय की बात है। एक छोटे से गांव में एक बुजुर्ग औरत रहती थी। उसके बाल चांदी जैसे सफेद थे और चेहरा हल्की-हल्की झुर्रियों से भरा हुआ था। पर उसकी आंखें उसकी आंखों में एक खास चमक थी। एक अपनापन था, एक सुकून था। गांव के लोग उसे बहुत मानते थे। वो हमेशा मुस्कुराती रहती। चाहे वक्त कितना भी मुश्किल क्यों ना हो। वो अकेली रहती थी। उसका पति कई साल पहले गुजर चुका था और बच्चे कोई थे नहीं लेकिन कभी उसने शिकायत नहीं की। वो अक्सर अपने छोटे से घर के बाहर एक बड़े बरगद के पेड़ के नीचे बैठती और गांव के लोगों से बातें करती और सबसे कहती मुस्कुराते रहो। गांव के लोग मेहनती थे। कोई किसान था, कोई बढ़ई तो कोई बाजार में काम करता था। कभी बारिश नहीं होती तो फसलें सूख जाती। कभी किसी के घर में बीमारी फैल जाती? जिंदगी आसान नहीं थी। और ऐसे में एक दिन एक युवती रोती हुई उस बुजुर्ग महिला के पास आई। कमला मां जी मैं क्या करूं? मेरे पति शहर गए हैं काम की तलाश में। ना पैसे भेजे हैं ना कोई खबर। बच्चे भूखे हैं और मैं डर रही हूं। बुजुर्ग महिला बैठ जा बेटी। और मुझे बता तू क्या सोचती है? अब क्या होगा? कमला मुझे डर लग रहा है। कहीं मेरे पति काम ना ढूंढ पाएं। कहीं वह हमें भूल ना जाए। बुजुर्ग महिला कमला जब हम बुरा सोचते हैं तो हमें और बुरा महसूस होता है। लेकिन जब हम अच्छा सोचते हैं तो मन हल्का होता है और कभी-कभी अच्छाई सच में हमारे जीवन में आ जाती है। कमला लेकिन जब सब कुछ बुरा हो रहा हो तब अच्छा सोचना कैसे मुमकिन है? बुजुर्ग महिला चल मैं तुझे एक कहानी सुनाती हूं। बुजुर्ग महिला एक गरीब आदमी था जिसके पास कुछ भी नहीं था। ना खाना ना पैसा ना परिवार। वो नदी किनारे बैठा रो रहा था। तभी एक बूढ़ी औरत वहां आई और बोली बेटा तू क्यों रो रहा है? वो बोला मेरे पास कुछ नहीं है। मैं खुश कैसे रहूं? बूढ़ी औरत मुस्कुराई और बोली तेरे पास नदी है, पेड़ है, सूरज है, जीवन है। अगर तू सिर्फ उन चीजों को देखेगा जो तेरे पास नहीं है तो तू हमेशा दुखी रहेगा। लेकिन अगर तू उन चीजों को देखेगा जो तेरे पास है तो तुझे सुकून मिलेगा। उस आदमी ने उस दिन पहली बार अपने चारों ओर की सुंदरता को देखा और उसका जीवन धीरे-धीरे बदल गया। ना जादू हुआ ना कोई चमत्कार। बस उसकी सोच बदल गई। कमला क्या सोच बदलने से सच में जीवन बदल सकता है? बुजुर्ग महिला हां मेरी बच्ची जब तू हर सुबह खुद से कहेगी आज का दिन अच्छा होगा तो तू खुद को मजबूत महसूस करेगी। तू बच्चों की देखभाल कर पाएगी, मेहनत कर पाएगी और अपने पति का इंतजार उम्मीद से कर पाएगी। लेकिन अगर तू सिर्फ डर और चिंता में जिएगी तो तेरा मन और भी बोझिल हो जाएगा। कमला की आंखों में चमक आ गई। उसने कहा मैं कोशिश करूंगी। आज से मैं अच्छे विचारों के साथ जिऊंगी। बूढ़ी औरत मुस्कुराई। यही पहला कदम है बेटी। कमला हर दिन सुबह उठती और खुद से कहती आज का दिन अच्छा होगा। वो मेहनत करती, बच्चों का ध्यान रखती और अपने पति की चिट्ठी का इंतजार करती। कुछ हफ्तों बाद एक चिट्ठी आई। उसके पति ने लिखा था मुझे काम मिल गया है। मैं पैसे भेज रहा हूं। कमला की आंखों में आंसू थे लेकिन इस बार वह खुशी के थे। कमला मां जी आपके शब्द सच निकले सब अच्छा हो गया। बुजुर्ग महिला देखा मेरी बच्ची जब हम सकारात्मक सोचते हैं तो अच्छा हमारे जीवन में आने लगता है। मुश्किलें तो रहेंगी लेकिन उम्मीद हो तो हम उन्हें पार कर सकते हैं। धीरे-धीरे गांव के और लोग भी उस बुजुर्ग महिला के पास आने लगे। हर कोई अपनी समस्या बताता और वो एक ही बात कहती। अच्छा सोचो अच्छा होगा। उसकी बातें लोगों के दिल को छूने लगी। गांव में जैसे एक नया बदलाव आया और यह बदलाव था सोच का। उस बुजुर्ग औरत ने गांव को एक सबसे अनमोल चीज दी। सकारात्मक सोच की ताकत। एक ऐसा मंत्र जो हर कठिनाई में काम आए। सोच बदलिए, जीवन बदलेगा।
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14 https://youtu.be/YbJhqenBtCk?si=gUZaPTkmHS3FKZMr
[संगीत] यह कहानी है एक पेंटर की जो बहुत ही बढ़िया पेंटिंग बनाया करता था। वो पेंटर रोज रात में एक पेंटिंग बनाता था और सुबह उसे बेच दिया करता था। वो रोज अपनी बनाई हुई पेंटिंग को ₹500 में बेचता था क्योंकि उसकी पेंटिंग ₹500 में ही बिका करती थी। और ऐसा करते हुए वो पेंटर महीने के ₹15,000 कमा लेता था। अब धीरे-धीरे वो पेंटर बूढ़ा होने लगा। जब वह पेंटिंग बनाता तो उसके हाथ कांपने लगते। फिर उसने सोचा कि वो अपने बेटे को पेंटिंग बनाना सिखाएगा। उसने अपने बेटे की ट्रेनिंग शुरू की और वह उसे पेंटिंग बनाना सिखाने लगा कि पेंटिंग में कलर कैसे भरते हैं। पेंटिंग बेचते कैसे हैं और उसे और भी ज्यादा अट्रैक्टिव कैसे बनाते हैं। अब धीरे-धीरे उसका बेटा भी पेंटिंग बनाना सीख रहा था। एक दिन उस पेंटर के बेटे ने अपनी पहली पेंटिंग बनाई और वो उसे बेचने निकला। जब वो घर आया तो उसने अपने पिता से कहा कि पिताजी मैंने जो पेंटिंग बनाई थी वो मैंने ₹100 में बेच दी है। उसके पिताजी उसकी बात सुनकर बहुत खुश हुए। लेकिन बेटा जो था वो उदास था। उसके पिताजी ने जब उससे पूछा कि तू उदास क्यों है? आज तूने अपनी पहली पेंटिंग बेची है। तो उसके बेटे ने कहा कि पिताजी आप अपनी पेंटिंग को ₹500 में बेचते थे और मैंने तो सिर्फ ₹100 में ही बेची है। जरूर आप कुछ ऐसा जानते हैं जो मैं नहीं जानता हूं। आप मुझे और भी अच्छे से सिखाइए। पिताजी ने उसे हां कहा और वो उसे और भी डिटेल में पेंटिंग की नॉलेज देने लगे। अगले दिन जब लड़का अपनी बनाई हुई पेंटिंग बेचने गया तो पेंटिंग ₹200 की बिकी। वो खुशी-खुशी अपने पिता के पास गया और उन्हें ₹200 देकर वो अपनी अगली पेंटिंग को और भी अच्छे से बनाने लगा। अब जब उसने अपनी तीसरी पेंटिंग बेची तो वह पेंटिंग ₹300 की बिकी और अब कई दिनों तक उसकी पेंटिंग ₹300 की ही बिक रही थी। लेकिन वो अपने पिता से रोज पेंटिंग के बारे में नई-नई चीजें सीख रहा था। कुछ दिनों के बाद जब उस पेंटर के बेटे ने अपनी बनाई हुई पेंटिंग को ₹700 में बेचा और इस बार जब वह अपने घर आया और उसने अपने पिता को यह बात बताई तो उसके पिताजी बहुत खुश हुए और उन्होंने उससे कहा कि चलो आज मैं तुम्हें पेंटिंग के बारे में कुछ नया सिखाता हूं। तभी उस पेंटर के बेटे ने कहा कि नहीं पिताजी अब मैं सब कुछ सीख चुका हूं। और अब आप क्या मुझे सिखाएंगे? आपने अपनी सारी जिंदगी में पेंटिंग को ₹500 में ही बेचा है और मैंने ₹700 में। अब आपसे मुझे जितना सीखना था उतना मैं सीख चुका हूं। तभी उसके पिता ने उससे कहा कि बेटा अब तू ₹700 के ऊपर कोई भी पेंटिंग बेच नहीं सकता है। क्योंकि जब तेरी जगह मैं था जब मैंने अपने पिताजी यानी कि तेरे दादाजी से ज्यादा पैसों में पेंटिंग को बेचा था। तब मैंने भी उनसे यही कहा था। वो ₹300 में अपनी पेंटिंग बेचा करते थे। और जब मैंने ₹500 में पेंटिंग को बेचा था तब मैंने उनसे यही बात कही थी और तब से लेकर अब तक मैं अपनी बनाई हुई पेंटिंग को ₹500 के ऊपर बेच ही नहीं पाया हूं क्योंकि मुझे घमंड आ गया था और घमंड एक ज्ञानी आदमी और एक आर्टिस्ट पर बिल्कुल सूट नहीं करता है क्योंकि उससे उसकी सीखने की चाह कम हो जाती है और हां पेंटिंग के बारे में मैं ज्यादा जानता हूं या तू यह पैसों से पता नहीं चलता है कि उसने कितने ज्यादा रुपए की पेंटिंग बेची। यह तजुर्बे से पता चलता है कि किसने उस फील्ड में कितना टाइम दिया है।
तो इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि घमंड जो है वो हमसे हमारी सफलता तो छीनता ही है लेकिन सबसे पहले वो हमारा ज्ञान छीनता है। क्योंकि घमंड आने पर ज्ञान कम होने लगता है क्योंकि सीखना बंद हो जाता है।
13 https://youtu.be/qRE1J5KBeb0?si=wnNFqHyQ81kEUbIy
एक बार एक बच्चा जो सात या आठ साल का होगा वह अकेला अपने रास्ते से स्कूल जा रहा था। अब स्कूल के रास्ते में उसे एक छोटा सा पप्पी दिखा जिसके पैर में से खून निकल रहा था। लड़का उस पप्पी के पास गया और अपनी पानी की बोतल से उस पप्पी के पैर का खून साफ करने लगा। लड़के ने आसपास देखा। वहां उसे कोई नहीं दिखा। उसे लगा कि यह पप्पी किसी का होगा जो खो गया है। तो बच्चे ने पप्पी को अपने साथ अपने घर लेकर आया और वह उसे पालने लगा। वह लड़का बहुत ही गरीब था और वह अपनी मां के साथ रहता था क्योंकि उसके पिता नहीं थे। स्कूल से आने के बाद वह एक चाय की होटल पर काम भी किया करता था। लेकिन उसकी मां को हमेशा उसके पढ़ाई के खर्चे की चिंता सताती थी क्योंकि उसकी मां उसे जिंदगी भर चाय की दुकान पर काम करता हुआ नहीं देख सकती थी। वो उसे पढ़ा लिखाकर एक बड़ा आदमी बनाना चाहती थी और यही हर मां का सपना होता है। तो अब वो पप्पी बिल्कुल ठीक हो गया और उस बच्चे के साथ ही रहता और खेलता था। वो पप्पी रोज बच्चे को स्कूल के गेट तक छोड़ने जाया करता था। तो एक बार जब वह पप्पी उस लड़के को स्कूल के गेट तक छोड़ने गया तब उस बच्चे के स्कूल में एक बड़े साहब आए हुए थे। बच्चा स्कूल में चला गया लेकिन वो पप्पी वहीं स्कूल के गेट पर खड़ा हुआ था और वह गेट पर खड़ा होकर स्कूल के अंदर देख रहा था। तभी जो बड़े साहब स्कूल में आए हुए थे। जैसे ही उनकी नजर इस पप्पी पर पड़ी तो वो दौड़ते हुए उस पप्पी के पास गए और उसे गोद में उठा लिया। सारे लोग उन बड़े साहब को देख रहे थे। तभी वह बच्चा भी वहां पर आ गया। तो वह पप्पी उन बड़े साहब की गोद से कूद कर उस लड़के के पास चला गया। जब उन्होंने लड़के से इस पप्पी के बारे में पूछा तो उसने उन्हें सब कुछ बता दिया कि कैसे यह पप्पी उसे रास्ते में मिला था जख्मी हालत में। तब उस लड़के को पता चलता है कि वह पप्पी उन बड़े साहब के बेटे का था जो खो गया था। और इस पप्पी के खो जाने की वजह से उन बड़े साहब का लड़का बहुत ही अकेला महसूस कर रहा था और वह खाना भी नहीं खा पा रहा था। बड़े साहब ने उस लड़के की तरफ देखा। उसे शुक्रिया कहा और उसके साथ उसके घर पर गए। जब उन्होंने उसके घर की हालत देखी तो उन्होंने उस बच्चे की पढ़ाई का पूरा खर्चा उठाने का जिम्मा ले लिया। अब दोस्तों यह कहानी एक छोटी सी मदद से शुरू हुई थी जिसने लड़के की पूरी जिंदगी को ही बदल दिया। आज के टाइम में हमें इस कहानी से सीख लेनी चाहिए क्योंकि नफरत भरे इस दौर में मदद करने वाले बहुत ही कम हो गए हैं। चाहे जानवर हो या इंसान, चाहे हिंदू हो या मुसलमान। मदद आप जिसकी भी करोगे आपको दिल से खुशी महसूस होंगी और आपको जिंदगी में ही आपके अच्छे काम का परिणाम यहीं मिल जाएगा। मैं आपको हाल ही में हुआ एक रियल इंसिडेंट सुनाता हूं। एक लड़का जो अपने घर से दूर किसी सिटी में पढ़ने के लिए आया था। वो एक रूम में रहता था। लेकिन हालत इतनी खराब थी कि रूम का किराया देने के बाद भी खाने के लिए पैसे नहीं बच पाते थे। उस लड़के के रूम के पास ही में एक ठेले वाला अपनी सब्जी का ठेला लगाता था। वो उस लड़के को रोज एक-दो टमाटर और बैंगन फ्री में दे दिया करता था। लड़का रोज उस बैंगन और टमाटर से कुछ बनाकर खा लिया करता था। अब 15-16 साल गुजरने के बाद एक दिन उस सब्जी वाले के ठेले के सामने एक पुलिस की गाड़ी आकर खड़ी होती है। सब्जी वाले को लगता है कि शायद पुलिस वाले उसके ठेले को वहां से हटाने को कह रहे हैं। वो जल्दी-जल्दी अपने ठेले का सामान लपेटने लगता है। लेकिन फिर जैसे ही उसने ठीक से गाड़ी में झांक कर देखा तो सामने बैठा पुलिस वाला उसे देखकर मुस्कुरा रहा था। वो ठेले वाला उसे देखकर पहचान गया। वह वही लड़का था जिसे वह टमाटर और बैंगन फ्री में दिया करता था और वह आज उन्हें शुक्रिया कहने आया था। दोस्तों, यह कोई मनधड़क कहानी नहीं है बल्कि एक रियल स्टोरी है डीएसपी संतोष पटेल और उनके दोस्त सलमान की जिनका वीडियो आप देख सकते हो। सिर्फ एक टमाटर और बैंगन से करी हुई मदद कितना बड़ा बदलाव ला सकती है आप देख सकते हो। तो जब भी जिंदगी में मदद करने का मौका मिले ना तो झिझकना नहीं क्योंकि वक्त कभी भी बदल सकता है और आपको भी मदद की जरूरत पड़ सकती है और जब आपको मदद की जरूरत होंगी तो आपकी जिंदगी में आपको वही मिलेगा जो आपने पहले लोगों को दिया है। किसी एक इंसान की मदद करने से पूरी दुनिया नहीं बदल जाती है। लेकिन उस इंसान की पूरी दुनिया बदल जाती है। और जिंदगी में उनकी भी मदद करो जहां पर आपको ऐसा लगता है कि यह इंसान आपकी मदद कभी नहीं करेगा। वहां भी उनकी मदद करो।
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12 https://youtu.be/w23TaCWsAOI?si=ZRRnhZ-0XmmbijSQ
किसी ने क्या खूब कहा है कि किसी भी इंसान को बाहर से जज मत कीजिए क्योंकि आपको नहीं पता है कि अभी वह इंसान अपनी जिंदगी में किस हालात से गुजर रहा है। तो दोस्तों फिर से हाजिर हूं मैं आपके सामने एक खूबसूरत कहानी के साथ। कहानी पहाड़ी इलाके की है। एक बार कुछ लोग पहाड़ी रास्ते से जा रहे थे। रास्ता बहुत ही घुमावदार था और छोटा था। चलने के लिए सिर्फ छोटी सी जगह ही थी। उनमें सबसे आगे एक आदमी था जिसके कंधे पर एक बड़ा सा बोझ था। एक बड़ी सी बोरी थी जिसमें कुछ सामान था और बाकी के जो लोग थे जो पीछे चल रहे थे। उनके पास हल्की-फुल्की चीजें थी। अब आगे बढ़ते-बढ़ते रास्ता जो है वह और भी छोटा होता जा रहा था। कभी पहाड़ की चढ़ाई, कभी पत्थर तो कभी पैर फिसलने का डर लगा रहता था। इतने में पीछे चल रहे लोग आपस में बात करते हैं और वो एक दूसरे से उस आगे चल रहे आदमी जिसके पास बड़ी सी बोरी थी उसके बारे में बात करते हैं और कहते हैं कि यह आदमी इस पहाड़ी रास्ते से इतनी बड़ी बोरी क्यों लेकर जा रहा है? अगर इसका जरा भी बैलेंस बिगड़ा तो यह सीधा नीचे गिर जाएगा और साथ में हमें भी ले गिरेगा। वो लोग उस आदमी से कहते हैं तुम इतना बड़ा बोझ लेकर क्यों चल रहे हो? कुछ सामान इस बोरी में से निकाल लो जो काम का नहीं है। वरना तुम गिर जाओगे। और तुम्हारी इस बड़ी सी बोरी की वजह से हमें आगे का रास्ता भी अच्छे से नहीं दिखाई दे रहा है। वो आदमी कुछ नहीं बोलता है। बस आगे बढ़ता रहता है। तभी कुछ देर चलने के बाद एक मोड़ आता है जहां रास्ता और भी पतला हो जाता है और तभी पीछे चल रहे एक आदमी का पैर फिसलता है। वो आदमी जोर से चिल्लाता है और गिरने ही वाला होता है कि तभी उसका हाथ किसी चीज से टकराता है और वह आदमी उस चीज को कस के पकड़ लेता है। जब वह आदमी अपनी आंखें खोल कर देखता है कि उसने किस चीज को पकड़ा है तो वह देखता है कि वह वही बोरी थी जो आगे चल रहे आदमी के कंधे पर थी। उस बोरी का वजन उस गिरते हुए आदमी का बैलेंस बनाए रखता है। तभी वह बोरी वाले आदमी से चिल्लाते हुए कहता है तुम अपनी बोरी को थोड़ा सा अपनी तरफ खींच लो। तभी वह आदमी थोड़ा सा आगे की तरफ झुकता है जिससे वह गिरता हुआ आदमी ऊपर चढ़ जाता है और बच जाता है। ऊपर आने के बाद वो आदमी चैन की सांस लेता है और पूछता है कि इस बोरी में क्या था? आगे चल रहा आदमी कहता है कि इस बोरी में रस्सी, लकड़ी, पानी और वह सब कुछ है जो किसी के गिरने पर काम आए। क्योंकि मुश्किल रास्ते में मैं सिर्फ अपने लिए नहीं चल रहा था बल्कि मुझे पता था कि यहां कुछ भी हो सकता है। इसीलिए इस बोरी में कुछ भी बेकार का सामान नहीं था जिसे मैं फेंक सकता। दोस्तों छोटी सी कहानी है लेकिन बड़ी ही खूबसूरत है। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हम ना बिना सोचे समझे ही लोगों को जज करने लगते हैं बिना उनकी सच्चाई जाने। वो इंग्लिश में कहते हैं ना कि डोंट जज अ बुक बाय इट्स कवर। क्योंकि अंदर क्या है अभी तक आपको पता नहीं है। सिर्फ ऊपर ऊपर से देखकर यह अंदाजा मत लगाओ कि वह बुरा ही होगा या गलत ही होगा।
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10 https://youtu.be/4-e9JAouKFk?si=w2hVcKPNEmnFQHGk
क्या आपने कभी सोचा है कि जो जिंदगी आप जी रहे हैं वह सबसे बेहतरीन हो सकती है लेकिन अगर आपको ऐसा मौका मिले कि आप जो चाहे वह बन सकें तो क्या आप खुश रह पाएंगे आइए सुनते हैं एक आदमी की इस अनोखी कहानी को एक छोटे से गांव में एक साधारण आदमी रहता था जो पहाड़ों पर पत्थर तोड़ने का काम करता था उसकी जिंदगी बहुत साधारण थी वह सुबह-सुबह काम पर निकलता दिन भर मेहनत करता और शाम को जो थोड़ा बहुत कमाता उससे अप परिवार के साथ वक्त बिताता और चैन की नींद सो जाता एक दिन काम से लौटते वक्त उसके मन में ख्याल आया क्या यही जिंदगी है सुबह से शाम तक मेहनत करो और बदले में सिर्फ इतने पैसे मिलते हैं कि मुश्किल से गुजारा हो पाता है काश मेरे पास ऐसी शक्ति होती कि मैं जो चाहता वह सच हो जाता वह घर आया और खाना खाने के लिए बैठा लेकिन उसका ध्यान खाने में नहीं था यह ख्याल उसके मन में घूमता रहा और सोचते-सोचते वह सो गया फिर उसने एक सपना देखा कि रोज की तरह काम खत्म करके वह घर लौट रहा था रास्ते में उसे एक शानदार महल जैसा घर दिखाई दिया उसने सोचा काश यह घर मेरा होता और अचानक वह उस घर का मालिक बन गया पहले तो उसे यकीन नहीं हुआ लेकिन जल्द ही उसकी खुशी फीकी पड़ गई महल के बाहर एक रैली गुजर रही थी लोगों की भीड़ किसी नेता के समर्थन में नारे लगा रही थी उसने देखा कि नेता के पास तो अनगिनत लोग थे उसे लगा इस नेता के पास तो मुझसे भी ज्यादा ताकत है काश मैं नेता होता या सोचते ही वह नेता बन गया अब वह भीड़ के बीच में था लोग उसके नाम के नारे लगा रहे थे लेकिन कुछ ही देर में उसे महसूस हुआ कि गर्मी और तेज धूप की वजह से वह असहज हो रहा था उसे चक्कर आने लगे और वह बेहोश होकर गिर पड़ा तब उसने सोचा नेता से भी ज्यादा ताकतवर तो सूरज है वह पूरी दुनिया को रोशन करता है काश मैं सूरज बन जाऊं इतना सोचते ही सपने में वह सूरज बन गया अब वह पूरी दुनिया को रोशन कर रहा था उसे लगा कि अब उससे ज्यादा ताकतवर कोई नहीं लेकिन तभी आसमान में काले बादल आए और उसकी रोशनी को ढक दिया उसने सोचा बादल तो मुझसे भी ज्यादा ताकतवर है काश मैं बादल बन सकता इतना कहते ही वह बादल बन गया आसमान में उड़ते हुए उसे बेहद खुशी हो रही थी लेकिन तभी तेज हवाएं आई और उसे उड़ा ले गई तब उसे समझ आया कि हवा तो बादल से भी ज्यादा ताकतवर है और उसने सोचा काश मैं हवा बन जाऊं हवा बनकर उसे लगा कि अवा सबसे ज्यादा ताकतवर है लेकिन तभी उसका सामना एक विशाल पहाड़ से हुआ उसने अपनी पूरी ताकत लगाई लेकिन पहाड़ टस से मस नहीं हुआ उसे महसूस हुआ कि पहाड़ हवा से भी ज्यादा ताकतवर है उसने सोचा काश मैं यह पहाड़ बन जाऊं और वह सपने में ही पहाड़ बन गया लेकिन उसकी यह खुशी ज्यादा देर टिक नहीं सकी उसे अचानक दर्द महसूस होने लगा उसने देखा कि उसे किसी ने तोड़ना शुरू कर दिया था तभी उसने चिल्लाकर कहा काश मैं यह आदमी बन जाऊं जो मुझे भी तोड़ सकता है लेकिन इस बार वह आदमी नहीं बन पाया दर्द और डर से उसकी नींद खुल गई और वह पसीने में भीगा हुआ था उसने अपने कमरे में लगे शीशे में खुद को देखा तब उसे समझ आया कि वह पहले से ही वही आदमी है जो पत्थर तोड़ता है इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमारे आसपास हर व्यक्ति अपनी स्थिति में असंतुष्ट है और वह किसी और की तरह बनना चाहता है लेकिन असलियत में हर इंसान की अपनी अनोखी ताकत और महत्व होती है हर व्यक्ति अनमोल है और अपनी जगह पर सबसे खास है
8) https://youtu.be/JUK6YIeEfs0?si=KMdh8eUezSespRjP
किसी ने बड़ी कमाल की बात कही है जब हम चांद को देखते हैं तो भगवान की सुंदरता नजर आती है। जब सूरज को देखते हैं तो भगवान का तेज दिखता है और जब हम आईने में खुद को देखते हैं तो भगवान की सबसे प्यारी रचना दिखाई देती है। यानी हम खुद इसीलिए खुद पर भरोसा करना सीखिए नमस्ते आप देख रहे हैं कहानी जंक्शन यह कहानी पुराने जमाने की है एक किसान था जो रोज सुबह-सुबह अपने कंधे पर एक डंडा रखता और उस डंडे पर दो घड़े लटका लेता तालाब से पानी भरकर अपने घर तक लाता यही उसका रोज का काम था अब बात यह थी कि वह दोनों घड़े काफी पुराने हो चुके थे और उनमें से एक घड़ा फूट गया था जब किसान पानी भरता तो उस फूटे घड़े में से पानी रिसने लगता किसान जब घर पहुंचता तो दो घड़े पानी की जगह सिर्फ डेढ़ घड़ा पानी ही पहुंच पाता जो घड़ा सही था उसे इस बात पर बहुत घमंड था वो अक्सर उस फूटे घड़े को चिढ़ाता रहता देखो मैं तो किसान का पूरा काम करता हूं उसकी मेहनत जाया नहीं जाने देता और एक तुम हो जो किसी काम के नहीं रहे किसान को जब सच का पता चल जाएगा तो तुम्हें फेंक देगा और नया घड़ा ले आएगा यह बातें सुनकर फूटा घड़ा बहुत दुखी रहने लगा उसे लगता है बेचारा किसान इतनी मेहनत करता है लेकिन मेरी वजह से उसका आधा पानी रास्ते में ही बर्बाद हो जाता है आखिर मैं किस काम का हूं एक दिन उसे रहा नहीं गया उसने किसान से कह ही दिया मालिक आप रोज इतनी मेहनत करते हैं पर मेरी वजह से आपका आधा पानी रास्ते में ही गिर जाता है अब वक्त आ गया है कि आप मुझे छोड़ दीजिए किसी नए घड़े को ले आइए हां बुरा तो लगेगा पर सच यही है कि अब मैं किसी काम का नहीं रहा किसान मुस्कुराया और बोला अरे पागल तू इतना दुखी क्यों होता है मन छोटा मत कर कल सुबह जब हम फिर से तालाब से पानी भरकर लौटेंगे तो रास्ते में एक चीज देखना फिर बात करेंगे अगली सुबह किसान फिर वही काम करने चल पड़ा डंडे पर दोनों घड़े लटकाए तालाब गया पानी भरा और वापस चल पड़ा लौटते वक्त फूटे घड़े ने देखा कि रास्ते के किनारे खूबसूरत रंग-बिरंगे फूल खिले हुए थे फूल देखकर उसका दिल खुश हो गया थोड़ी देर के लिए उसकी उदासी दूर हो गई घर पहुंचकर किसान ने घड़े से पूछा "कैसे लगे फूल अच्छा लगा ना फूटा घड़ा बोला हां मालिक आज रास्ता तो बहुत सुंदर लग रहा था पर फिर से उदास हूं क्योंकि आज भी आप पूरा पानी लेकर चले थे पर घर सिर्फ डेढ़ घड़ा पानी ही पहुंच पाया आपकी मेहनत तो फिर आधी रह गई ना किसान ने प्यार से कहा तुम्हें पता है वो सारे फूल तुम्हारी ही वजह से खिले हैं तुम्हारी तरफ ही क्यों खिले थे यह पता है क्योंकि मुझे बहुत पहले से मालूम था कि तुम फूट चुके हो इसीलिए मैंने क्या किया बाजार से बीज लाया और पूरे रास्ते में जिस तरफ तुम लटकते हो वहां वो बीज बो दिए जब भी तुमसे पानी टपकता वो बीज सज जाते और धीरे-धीरे वहां इतने सुंदर फूल उगाए रास्ता सज गया वह भी तुम्हारी वजह से मुझे तुम्हारी कमी पता थी लेकिन मैंने उस कमी को ताकत बना दिया दोस्तों यह कहानी सिर्फ उस फूटे घड़े की नहीं है
यह कहानी हमारी और आपकी भी है इस दुनिया में कोई भी परफेक्ट नहीं होता कमियां सब में होती है लेकिन अगर हम अपनी कमियों पर काम करें और उन्हें अपनी ताकत बना लें तो हमारी कीमत सही घड़े से भी कहीं ज्यादा हो सकती है और अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि आप जैसे भी हैं खुद को स्वीकार करें और आगे बढ़ते रहें।
मिलते हैं किसी और वीडियो में कहानी पूरा सुनने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद अगर आपको कहानी अच्छी लगी है तो आप इस वीडियो को लाइक कर सकते हैं और हमारी फैमिली का हिस्सा बनने के लिए चैनल को सब्सक्राइब कर लीजिए
7) https://youtu.be/GIV3eIMu9C0?si=UuGXtli6kOnc2ODe
क्या आपको अभ्यास की ताकत पता है निरंतर अभ्यास से किसी भी बड़े से बड़े लक्ष्य को कैसे पाया जाता है। आज की यह प्रेरणादायक कहानी इसी को दर्शाती है। दोस्तों बात है पुराने जमाने की तब ना स्कूल होते थे और ना ही किताबों से भरी अलमारियां बच्चे अपनी पढ़ाई के लिए गुरुकुल जाया करते थे वहां बच्चे गुरु जी के आश्रम में रहते रोजमर्रा के काम करते गाय चराते लकड़ियां बटोरते और साथ ही पढ़ाई भी किया करते थे ऐसे ही एक कहानी है वृदराज की वृदराज भी अपने गांव से गुरुकुल भेजा गया जैसे बाकी बच्चे जाते थे वह भी वहां पहुंचकर अपने बाकी साथियों में घुल मिल गया सब साथ खेलते-खाते आश्रम का काम करते लेकिन एक ही जगह थी जहां वर्धराज अपने दोस्तों से बहुत पीछे था और वह थी पढ़ाई गुरु जी जो भी पढ़ाते वर्दराज की समझ में बहुत कम आता अक्षर श्लोक अर्थ सब कुछ उसके लिए उलझे धागों जैसा था गुरु जी समझाते-समझाते थक जाते मगर वर्धराज के सिर पर तो मानो बात ही नहीं चढ़ती धीरे-धीरे उसकी हालत ऐसी हो गई कि आश्रम के बच्चे उसे ताने मारने लगे कोई उसे मंदबुद्धि कहता कोई कहता तू तो कभी कुछ नहीं सीख पाएगा वक्त बीतता गया साल खत्म हुआ उसके सारे साथी अगली कक्षा में चले गए लेकिन वर्धराज वहीं का वहीं रह गया अकेला उदास और टूटा हुआ आखिरकार एक दिन गुरु जी ने भी हार मान ली उन्होंने वर्दराज को बुलाया और कहा बेटा वर्दराज मैंने हर तरह से कोशिश कर ली पर लगता है विद्या तुम्हारी किस्मत में नहीं है तुम्हारा वक्त यहां बर्बाद हो रहा है तुम घर चले जाओ और अपने माता-पिता के काम में हाथ बटाओ खेतीबाड़ी करो शायद वही तुम्हारे लिए सही रहेगा गुरु जी की बात सुनकर भरतराज के दिल पर मानो पत्थर रख दिया गया हो उसकी आंखें भर आई उसने सोचा शायद गुरु जी ठीक ही कहते हैं पढ़ाई तो मेरे बस की बात नहीं वह भारी कदमों से अपने गांव की ओर चल पड़ा दोपहर का वक्त था सूरज सिर पर आग बरसा रहा था वरदराज को बहुत प्यास लगी वह चारों तरफ देखने लगा कहीं पानी मिल जाए तभी उसने देखा थोड़ी दूर पर कुछ औरतें कुएं से पानी खींच रही थी वह जल्दी-जल्दी वहां पहुंच गया कुएं के पास उसने देखा कि पत्थरों पर गहरे निशान पड़े हुए थे उसे बड़ा अचरज हुआ उसने एक औरत से पूछा माताजी यह पत्थर पर इतने गहरे निशान कैसे पड़ गए क्या किसी ने इन्हें तराशा है औरत ने हंसते हुए कहा नहीं बेटे इन्हें किसी ने नहीं तराशा यह निशान तो इस रस्सी के रोज-रोज कुएं में ऊपर नीचे आने जाने से बने हैं देखो यह रस्सी कितनी पतली और कोमल है फिर भी रोज-रोज के घिसने से इसने पत्थर में इतने गहरे निशान बना दिए बस यही बात वर्दराज के दिल में तीर की तरह जाकी उसने सोचा जब कोमल सी रस्सी भी रोज-रोज कोशिश करके ठोस पत्थर में निशान डाल सकती है तो क्या मैं रोज-रोज अभ्यास करके अपने दिमाग में विद्या नहीं भर सकता उसकी आंखों में नई चमक आ गई अब वर्दराज को यकीन हो चला था कि लगातार मेहनत से नामुमकिन भी मुमकिन हो जाता है वर्धराज ने वही कुएं के पास फैसला किया मैं हार नहीं मानूंगा मैं वापस जाऊंगा गुरुकुल और तब तक कोशिश करता रहूंगा जब तक सीख ना जाऊं वह फौरन वापस गुरुकुल लौट गया उसके लौटते ही सब हैरान रह गए गुरु जी ने पूछा बेटा वर्धराज तुम फिर कहां लौट आए वरदराज ने आत्मविश्वास से कहा गुरु जी मैंने रास्ते में एक कुआं देखा वहां रस्सी के रोज-रोज घिसने से पत्थर में निशान पड़ गए थे तो मैंने सोचा कि अगर पत्थर पर निशान पड़ सकते हैं तो लगातार अभ्यास से मेरे दिमाग पर भी विद्या की छाप जरूर पड़ सकती है गुरु जी मुझे एक मौका और दीजिए मैं मेहनत करूंगा रोज करूंगा और तब तक करूंगा जब तक सीख ना जाऊं गुरु जी ने उसकी आंखों में एक अलग चमक देखी उन्होंने कहा वरदराज यही तो असली विद्यार्थी की पहचान है हार ना मानना चलो फिर से शुरुआत करते हैं इसके बाद वर्धराज ने दिन रात एक कर दिया सवेरे सबसे पहले उठता गुरु जी के पास बैठता सवाल पूछता रटता समझता फिर भी गलती होती फिर पूछता उसके साथी पहले उसे मंदबुद्धि कहते थे वही अब उनकी लगन देखकर दंग रह गए धीरे-धीरे वधराज की पढ़ाई में पकड़ मजबूत होने लगी उसे श्लोक याद होते चले गए व्याकरण की गु्थियां सुलझने लगी कुछ ही सालों में वधराज जो एक वक्त मंदबुद्धि कहलाता था इतना बड़ा विद्वान बन गया कि उसकी ख्याति दूर-दूर तक फैल गई उसने संस्कृत व्याकरण की महान किताबें लिखी लघु सिद्धांत कोमोदी मध्यम सिद्धांत कोमोदी सार सिद्धांत कोमोदी और ग कीवाण पद मंजरी आज भी विद्वान उनके नाम का आदर करते हैं दोस्तों वर्दराज की कहानी हमें एक बहुत बड़ी बात सिखाती है अभ्यास से बड़ा कोई चमत्कार नहीं। कभी मत सोचो कि तुम किसी चीज में कमजोर हो अगर वर्दराज हार मान लेता तो शायद दुनिया कभी उसका नाम नहीं जानती लेकिन उसने ठान लिया और कर दिखाया इसीलिए याद रखना दोस्तों मेहनत करो रोज करो धैर्य रखो और दुनिया को दिखा दो कि तुम क्या कर सकते हो और अंत में मैं यही कहना चाहूंगा किस्मत के भरोसे मत बैठो मेहनत करो फिर देखो पत्थर भी मोम की तरह पिघल जाएंगे।
6) https://youtu.be/PFqAqHB2dHs?si=tXLIrH-B6oGxgdhY
दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूं जिसमें एक गहरा सच छिपा है संगत का असर यह कहानी है एक राजा और दो तोते की लेकिन सुनने में भले ही यह कहानी छोटी सी बात लगे पर यकीन मानिए यह कहानी हमारी जिंदगी का आईना है तो चलिए शुरू करते हैं बहुत समय पहले की बात है एक राजा था बुद्धिमान और न्यायप्रिय वह अपने राजकाज के कामों से कुछ समय निकालकर जंगल की ओर घूमने निकला राजा का काफिला जंगल के रास्ते से गुजर रहा था सूरज की किरणें पत्तों में से छन छन कर नीचे गिर रही थी हवा में मिट्टी और पत्तों की खुशबू घुली थी सब कुछ बड़ा शांत और सुंदर लग रहा था पर अचानक जंगल में से एक अजीब आवाज आई मारो मारो लूटो लूटो राजा चौंक गया उसके सिपाही भी सतर्क हो गए चारों तरफ निगाहें दौड़ाई तो देखा एक पेड़ की डाल पर बैठा एक तोता चिल्ला रहा था राजा को अपने कानों पर भरोसा ही नहीं हुआ उसने सोचा अरे यह कैसा तोता है पक्षी तो मीठी बोली के लिए जाने जाते हैं यह गालियां क्यों दे रहा है और लूटपाट की बातें क्यों कर रहा है राजा को बहुत गुस्सा आया उसने अपने सिपाहियों से कहा "इसे पकड़ो " मगर सिपाही जैसे ही पास पहुंचे तोता फुर्र से उड़ गया राजा ने सिर हिलाया और आगे बढ़ गया कुछ ही दूर चलने के बाद राजा अपने काफिले के साथ एक सुंदर आश्रम के पास पहुंचा चारों तरफ हरियाली फूलों की खुशबू और एक शांत माहौल राजा जैसे ही आश्रम के फाटक पर पहुंचा वहां एक और तोता बैठा मिला मगर वह तोता तो कुछ और ही कह रहा था उसने बेहद मधुर आवाज में कहा स्वागतम सुस्वागतम राजा महाराज आपका स्वागत है राजा के कदम वहीं रुक गए उसके चेहरे पर आश्चर्य झलक उठा उसने सोचा अरे यह तोता तो कितना मीठा बोल रहा है वही रंग वही आकार वही जात और परो पर भी वही हरी आभा पर आवाज में जमीन आसमान का फर्क इतनी देर में आश्रम के ऋषि बाहर आ गए उन्होंने राजा को देखा हाथ जोड़कर बोले आइए राजन आपका स्वागत है आपने हमारे आश्रम में पधार कर इसे पवित्र कर दिया राजा मुस्कुराया ऋषियों ने उन्हें भीतर बुलाया आश्रम में उगे हुए फल मीठे बेर जामुन सब राजा को परोसे राजा बहुत खुश हुआ उसने ऋषियों से कहा ऋषिवर एक बात पूछूं अभी थोड़ी ही देर पहले एक तोता मिला था वह गालियां दे रहा था मारो मारो लूटो लूटो कह रहा था और यहां यह तोता इतना मीठा बोल रहा है दोनों का रंग एक आकार एक और शायद जात भी एक फिर ऐसा कैसे हो सकता है रिसीवर मुस्कुरा दिए उन्होंने राजा को पास बैठाया और कहा राजन बात बस इतनी सी है वह दोनों तोते एक ही मां के बच्चे हैं दोनों का जन्म एक ही घोंसले में हुआ दोनों के पंखों का रंग आवाज सब एक जैसे हैं मगर उनकी परवरिश अलग-अलग जगह हुई एक तोता डाकुओं के हाथ लग गया रोज उनकी गालियां सुनता उनकी बातें सुनता और वही सीख गया मारो मारो लूटो लूटो दूसरा तोता मेरे आश्रम में आ गया और यहां उसने ऋषियों के मुंह से मधुर वचन सुने और वही बोलने लगा राजा दोष तो इन तोतों का भी नहीं है दोष तो संगत का है जैसा वातावरण वैसी भाषा और वैसा ही व्यवहार इंसानों के साथ भी ऐसा ही होता है इंसान जैसी संगत में रहता है वैसे ही विचार और आदतें उसके अंदर घर बना लेती हैं राजा ऋषि की बात सुनकर गहरी सोच में पड़ गया उसे एहसास हुआ कि यह तोते की कहानी नहीं बल्कि पूरे समाज की सच्चाई है राजा ने कहा ऋषिवर आप सच कह रहे हैं संगत ही आदमी को सजाती है या बिगाड़ती है इंसान खुद तो निर्दोष जन्मता है मगर उसके आसपास जो लोग होते हैं जिनके बीच वह पलता बढ़ता है वही उन्हें अच्छा या बुरा बना देते हैं राजा ने गहरी सांस ली और उसने प्रण किया कि अब से वह अपने महल में अपने राज्य में वह सब ध्यान रखेगा कि बच्चे अच्छी संगत में रहे ताकि उनका मन भी स्वच्छ रहे और विचार भी नेक रहे ऋषियों ने आशीर्वाद दिया राजा ने उन्हें प्रणाम किया और वापस अपने महल की ओर चल पड़ा लेकिन उसके दिल में ऋषि की बात हमेशा के लिए बस गई दोस्तों कहानी तो खत्म हो गई मगर सोचने वाली बात यही है हम सब अपने बच्चों अपने दोस्तों यहां तक कि खुद पर भी ध्यान दें कि किसके साथ उठते बैठते हैं कौन सी बातें सुनते हैं और क्या आदतें सीख रहे हैं अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो तो लाइक कीजिए शेयर कीजिए और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करना मत भूलिए फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब तक के लिए जय हिंद
5) https://youtu.be/rNpBHPVbZIo?si=iu7BPKQn8tUkA_kT
दोस्तों आज जो कहानी मैं आपको सुनाने जा रहा हूं वह सिर्फ एक मछुआरे की नहीं है। यह कहानी है हर उस इंसान की जो जिंदगी में टूट जाता है पर हार नहीं मानता अगर आपने इसे दिल से सुना तो यकीन मानिए यह आपकी सोच आपका नजरिया और शायद आपकी किस्मत तक बदल सकती है। तो वादा करिए इस कहानी को अंत तक और पूरे ध्यान से सुनेंगे कहानी शुरू होती है।
पुराने भारत के एक छोटे से समुद्री शहर सोमनगर में वहां की तंग गलियों पत्थर की सड़कों और पुराने मकानों के बीच बहती खारे हवा में नमक और मछलियों की महक रची बसी रहती थी सुबह होते ही लोग अपनी-अपनी नाव और जालों के साथ समंदर की ओर दौड़ पड़ते इसी सोमनगर में रहता था अर्जुन 25 साल का एक युवा मछुआरा लंबा कद सांवला रंग और आंखों में बेमिसाल चमक उसके पिता बचपन में ही गुजर गए थे और मां बूढ़ी हो गई थी घर की सारी जिम्मेदारी अर्जुन पर थी अर्जुन की सबसे बड़ी पूंजी थी उसकी लकड़ी की नाव जिसे उसने अपने खून पसीने की कमाई से खरीदा था अर्जुन मेहनती था लेकिन किस्मत उसकी साथी नहीं थी अक्सर वह सोचता क्या सच में मेहनत का फल मिलता है पर हर सुबह मां की झुर्रियों भरी मुस्कान उसे फिर से समंदर की ओर खींच ले जाती एक दिन सुबह की किरणें समंदर पर पड़ रही थी आसमान सुनहरा हो उठा था अर्जुन अपनी नाव लेकर समंदर में उतरा वह उस दिन बहुत खुश था क्योंकि उसे लगा आज बड़ी पकड़ होगी उसकी नाव लहरों पर तैरती जा रही थी और जाल भरते जा रहे थे मछलियों की चमक से अर्जुन की आंखों में सपने तैरने लगे मां के इलाज के नए घर के और एक सुखी जिंदगी के लेकिन तभी अचानक आसमान में काले बादल छा गए समंदर उफान मारने लगा और हवा की रफ्तार बढ़ गई अर्जुन की नाव बड़ी लहरों से टकराती रही डर उसके चेहरे पर साफ दिख रहा था तभी एक बड़ी लहर आई और अर्जुन की नाव बीचोंबीच से टूट गई नाव का अगला हिस्सा लहरों में बह गया अर्जुन समंदर में गिर पड़ा किसी तरह तैरते तैरते वह आधी टूटी नाव को पकड़ कर बैठा रहा लहरें शांत हुई लेकिन अर्जुन की आंखों में आंसू थे नाव उसकी रोजीरोटी थी और बिना नाव के मछुआरा क्या करेगा अर्जुन जैसे तैसे टूटी नाव के टुकड़े पर बैठकर तट तक पहुंचा वहां सब लोग जमा हो गए कोई कह रहा था अरे अर्जुन अब तो तेरा काम खत्म हुआ कोई बोला नया कर्ज लेकर नाव खरीदेगा तो जिंदगी भर चुकाएगा कैसे अर्जुन की मां ने कांपती आवाज में कहा बेटा अब हम क्या करेंगे अर्जुन चुप था उस रात उसकी आंखों में नींद नहीं थी उसने टूटे हुए टुकड़े को देखकर उस पर हाथ फेरा जैसे वह कोई जिंदा चीज हो उसकी नाव ही तो उसकी पहचान थी मन ही मन उसने फैसला किया हार मानना मेरे बस की बात नहीं है नाव टूटी है मैं नहीं सुबह होते ही अर्जुन बाजार गया और बई को बुलाया लोग हंस रहे थे अरे इस टूटी नाव को जोड़कर क्या करेगा मगर अर्जुन के कानों में किसी की आवाज नहीं पड़ रही थी अर्जुन ने टूटे हिस्से को इकट्ठा किया बढ़ई से सलाह ली लकड़ियां खरीदी उसके पास पैसे नहीं थे पर उसने अपनी मां के सोने के कान के झुमके तक गिरवी रख दिए तीन हफ्ते तक अर्जुन और बढ़ई ने दिन रात काम किया सूरज की तपन और समुद्र की नमी में अर्जुन के हाथ छिल गए मगर उसने हार नहीं मानी आखिरकार नाव बनकर तैयार हो गई वो पहले से ज्यादा मजबूत लग रही थी अर्जुन ने उसमें नया रंग किया और नाव पर लिखा विश्वास और पहले ही दिन अर्जुन उस नाव को लेकर समंदर पर निकला लोगों ने उसे देखकर कहा अब देखो टूटी नाव कैसे डूबेगी पर उस दिन समंदर शांत था अर्जुन ने जाल डाला और इतनी मछलियां पकड़ी कि उसकी नाव डूबते डूबते बजी और मछलियां बाजार में ऊंचे दाम में बिकी अर्जुन का सारा कर्ज उतर गया मां के इलाज के पैसे भी आ गए लोग अर्जुन की तरफ देखकर बोले "अरे अर्जुन तूने तो करिश्मा कर दिया " अर्जुन हंसा और बोला "करिस्मा सिर्फ इतना है कि मैंने हार मानने से इंकार कर दिया टूटी हुई नाव ने मुझे सिखाया कि हार में ही जीत छुपी होती है " मां की आंखों में आंसू आ गए पर इस बार खुशी के अर्जुन की नई नाव अब पूरे सोमनगर की सबसे मशहूर नाव बन गई लोग अर्जुन को उसकी हिम्मत के लिए सलाम करने लगे उस दिन सोमनगर के बाजार में एक कहावत फिर से गूंज उठी जो हार नहीं मानता उसकी किस्मत भी उसका साथ देती है। इस कहानी से यही सीख मिलती है कि हार चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो अगर इंसान हिम्मत ना हारे तो वही हार उसे सबसे बड़ी जीत की तरफ ले जाती है और अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि कभी हार मत मानो।
4) https://youtu.be/QwXVOG2K250?si=2iErWsLOdi3pOlVo
दोस्तों आज जो कहानी मैं आपको सुनाने जा रहा हूं वह सिर्फ एक कहानी ही नहीं है यह एक आईना है जो आपको खुद से मिलवाएगी यह कहानी सुनने के बाद आप कभी किसी और को दोष नहीं देंगे बल्कि जिंदगी की कमान खुद थाम लेंगे पर शर्त सिर्फ इतनी है इसे पूरे दिल से ध्यान से और आखिर तक सुनना होगा रेगिस्तान की तपती रेत पर एक आदमी अकेला चला जा रहा था और बड़बड़ा रहा था कितनी बंजर जगह है यह ना हरियाली ना पानी और हरियाली होगी भी कैसे यहां तो पानी का नामोनिशान भी नहीं है जैसे-जैसे धूप तेज होती जा रही थी उसका गुस्सा भी बढ़ता जा रहा था अचानक उसने आसमान की तरफ झुझलाते हुए देखा और कहा "क्या भगवान यहां पानी क्यों नहीं देते अगर पानी होता तो कोई भी यहां पेड़-पौधे उगा सकता था यह जगह भी एक खूबसूरत बगीचा बन सकती थी वह आसमान की ओर ऐसे ही देखता रहा जैसे कोई जवाब आने का इंतजार कर रहा हो और तभी एक चमत्कार होता है जैसे ही उसकी नजर नीचे झुकती है उसके ठीक सामने एक कुआं दिखाई देता है एक ऐसा कुआं जो वह सालों से इस रास्ते पर आते-जाते कभी नहीं देख पाया था वो हैरान होकर दौड़ा कुआं पानी से लबालब भरा था लेकिन उसने ऊपर देखकर धन्यवाद देने की बजाय फिर से शिकायत की ठीक है पानी मिल गया पर इसे निकालने के लिए कुछ इंतजाम भी तो होना चाहिए अगले ही पल उसे कुएं के पास एक रस्सी और बाल्टी पड़ी दिखाई दी अब वह और ज्यादा चौंका लेकिन कहानी यहीं नहीं रुकी वो फिर बोला अब मैं यह पानी भरूंगा कैसे और इसे ढोऊंगा कैसे तभी उसे लगा जैसे कोई उसे पीछे से छू रहा है वो घबराकर पीछे देखा तो एक ऊंट उसके पीछे खड़ा था अब तो जैसे उसकी सांसे ही अटक गई उसे डर लगने लगा कहीं यह कोई इशारा तो नहीं कि उसे अब इस रेगिस्तान को हराभरा बनाने का काम सौंपा जा रहा है वह बिना कुछ बोले तेज कदमों से आगे बढ़ गया लेकिन तभी एक उड़ता हुआ कागज का टुकड़ा आकर उसके सीने से चिपक गया और उस पर लिखा था मैंने तुम्हें पानी दिया बाल्टी और रस्सी दी ऊंट भी दे दिया अब तुम्हारे पास हर वो साधन है जिससे तुम इस बंजर रेगिस्तान को हराभरा बना सकते हो वो कुछ पल के लिए रुका सोच में डूबा पर फिर पलटा और आगे बढ़ गया और वह रेगिस्तान हमेशा के लिए बंजर ही रह गया दोस्तों यह कहानी में वो आदमी सिर्फ एक किरदार नहीं है वह हम सभी हैं हम में से कई लोग हालात से परेशान होकर शिकायत करते हैं कभी भगवान को दोष देते हैं कभी सरकार को कभी अपने माता-पिता को तो कभी सिस्टम को पर सच्चाई यह है कि हमारे पास अक्सर वह सारे साधन वह सारे रिसोर्सेज होते हैं जो हमें अपने सपनों को पूरा करने के लिए चाहिए बस हम उसे पहचान नहीं पाते या पहचान भी ले तो जिम्मेदारी उठाने से घबरा जाते हैं इसलिए आज से शिकायत करना बंद कीजिए बहानों से दूरी बनाइए और पूरी ताकत से अपनी दुनिया बदलने में लग जाइए क्योंकि सचमुच सब कुछ तुम्हारे हाथ में है दोस्तों आपको इस कहानी से क्या सीखने के लिए मिला कमेंट में अपनी बात जरूर लिखना और अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी है तो इस वीडियो को भी एक लाइक जरूर कर देना चैनल को सब्सक्राइब कर लेना ऐसे ही और कहानियां सुनने के लिए
3) https://youtu.be/bJBCgiSOvY0?si=eDHNuwTkkYS7DFSg
दोस्तों कुछ बातें कहानियों में नहीं एहसासों में छुपी होती हैं जो सिर्फ सुनता है वह भूल जाता है लेकिन जो महसूस करता है वो बदल जाता है तो चलिए एक एहसास की तरफ बढ़ते हैं एक ऐसी कहानी की ओर जो आपके दिल के बेहद करीब तक जाएगी बरसात का मौसम आने ही वाला था आसमान में काले-काले बादल घिरने लगे थे पेड़ों पर परिंदों की चहल-पहल तेज हो गई थी जैसे सबको जल्दी थी अपने लिए कोई सुरक्षित ठिकाना ढूंढने की ऐसे ही एक नदी के किनारे एक नन्ही सी चिड़िया अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ आसरा ढूंढ रही थी बारिश कभी भी शुरू हो सकती थी और बच्चों को लेकर उसे बहुत चिंता हो रही थी नजरें इधर-उधर दौड़ाई तो उसे एक मजबूत सा पेड़ दिखा वह उड़कर उस पेड़ के पास पहुंची और नम्रता से बोली "मुझे और मेरे बच्चों को आपके एक डाल पर बस थोड़ी सी जगह चाहिए ताकि हम अपना एक छोटा सा घोंसला बना सकें बारिश आने वाली है बस कुछ दिनों की ही तो बात है पेड़ थोड़ा झिझका पर धीरे लेकिन सख्ती से बोला माफ करना चिड़िया रानी मैं तुम्हें यह जगह नहीं दे सकता तुम किसी और पेड़ पर जाकर कोशिश करो चिड़िया को बहुत बुरा लगा वो पेड़ बहुत बड़ा था जगह की कोई कमी नहीं थी फिर भी उसने मना कर दिया उदासी से भरी आंखों से अपने बच्चों की तरफ देखा फिर उड़कर दूसरे पेड़ के पास गई दूसरे पेड़ ने ना सिर्फ चिड़िया को जगह दी बल्कि बड़े प्यार से उसका स्वागत भी किया चिड़िया ने वहां घोंसला बनाया और अपने बच्चों के साथ खुशी-खुशी रहने लगी कुछ ही दिनों में मौसम ने करवट ली बरसात शुरू हो गई और वह भी कोई आम बारिश नहीं थी बहुत तेज आंधी जोरों की बारिश बिजली की गड़गड़ाहट मानो आसमान फट पड़ा हो चिड़िया अपने घोंसले में सहमी हुई बैठी थी बच्चों को अपने पंखों में छिपाकर तभी बाहर से एक तेज आवाज आई चिड़िया डर के मारे कांप उठी झांक कर बाहर देखा तो जो देखा वो हैरान कर देने वाला था वो पहला पेड़ जिसने उसे ठुकरा दिया था तेज बारिश और तूफान को सह नहीं पाया और जड़ से उखड़कर नदी में जा गिरा पानी के तेज बहाव में वह पेड़ अब बहता चला जा रहा था चिड़िया कुछ पल तक उसे देखती रही फिर बोली हे पेड़ एक दिन मैं तेरे पास मदद मांगने आई थी पर तुमने मुझे बहुत बेरुखी से मना कर दिया देखो आज तुम्हें भी उसी बेरुखी की सजा मिल रही है तुम्हें भगवान ने तुम्हारे घमंड का फल दे दिया पेड़ जो अब आधा डूबा हुआ था बहते-बहते धीमी आवाज में बोला नहीं चिड़िया रानी बात घमंड की नहीं थी मैं जानता था मेरी जड़े अब कमजोर हो चुकी हैं सालों की बारिशें और हवाएं जमीन की पकड़ को ढीली कर चुकी थी अगर मैंने तुम्हें और तुम्हारे बच्चों को आसरा दिया होता तो आज तुम भी मेरी तरह इस नदी में बह रहे होते तुम मुझसे आसरा मांगने आई थी और मैंने मना किया क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि मेरी कमजोरी किसी मासूम की जान ले ले माफ कर देना चिड़िया रानी इतना कहकर पेड़ धीरे-धीरे नदी में डूबता चला गया उस दिन चिड़िया समझ गई कि हर ना का मतलब इंकार नहीं होता हर मना करने वाला कठोर नहीं होता कई बार सामने वाला अपनी सीमाओं को जानकर ही मना करता है ताकि आपको तकलीफ ना हो लेकिन हम लोग अक्सर बिना जाने ही किसी के इंकार को उसका घमंड मान लेते हैं कहानी यहीं खत्म नहीं होती इस कहानी में एक बहुत गहरा सबक छुपा है आज के समय में जब कोई हमें ना कहता है तो हमें पहले यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि शायद उसके पीछे कोई कारण हो शायद वह हमारी भलाई ही सोच रहा हो इसीलिए किसी की मना करने की आदत पर मत जाओ उसके हालात उसकी सोच और उसके पीछे छुपी हुई मजबूरी को समझने की कोशिश करो दोस्तों आपको इस कहानी से क्या सीखने को मिला कमेंट में अपनी बात जरूर लिखना और अगर कहानी अच्छी लगी हो तो लाइक करके चैनल को सब्सक्राइब कर लेना आगे भी ऐसी ही कहानियां देखने के लिए मिलते हैं अगली वीडियो में
2) https://youtu.be/MYzoCLNxvA0?si=Hut3Fb_f-ciF4xAu
कहते हैं ना डर सिर्फ एक एहसास नहीं होता है वो एक ऐसा साया होता है जो जिंदगी को निगलने लगता है लेकिन अगर आप यह कहानी आखिर तक सुन लोगे तो शायद आपको पता चल जाएगा कि डर असल में क्या चीज है और उसे लड़ना क्यों जरूरी है यह बात एक पुरानी तिब्बती कहानी से बहुत अच्छे से समझ में आती है बहुत समय पहले की बात है एक बड़ा घना जंगल था और उस जंगल में दो उल्लू रहते थे एक रात दोनों शिकार की तलाश में निकले सुबह का इंतजाम करके वापस एक पुराने पेड़ पर आकर बैठ गए एक उल्लू के मुंह में एक जिंदा सांप था उसका प्लान था कि सुबह-सुबह इसका स्वाद लिया जाएगा और दूसरे उल्लू ने एक मोटा सा चूहा पकड़ा था वह भी अपने शिकार से बड़ा खुश था दोनों पासपास बैठे थे अपने-अपने शिकार के साथ पर किस्मत का खेल भी अजीब होता है जैसे ही सांप ने पास वाले उल्लू के मुंह में बैठे चूहे को देखा उसकी आंखें फटी की फटी रह गई उसे चूहा इतना स्वादिष्ट लगा कि वह भूल गया कि वह खुद एक उल्लू के मुंह में है और मौत उसके एकदम करीब खड़ी है चूहे को देखकर उसके मुंह में पानी आने लगा राल टपकने लगी जैसे सामने कोई जिंदगी भर का स्वाद हो सच में उस वक्त उसे अपनी हालात का कोई होश ही नहीं था दूसरी तरफ जब चूहे ने सांप को देखा तो वह कांप गया डर के मारे उसकी हालत खराब हो गई उसने देखा कि एक जिंदा सांप उसकी तरफ देख रहा है जैसे उसे अभी निगल जाएगा अजीब खेल था किस्मत का एक तरफ सांप था जो मौत के इतने करीब होते हुए भी चूहे को देखकर लालच में डूब गया और दूसरी तरफ चूहा था जो सांप की आंखों में ही अपनी मौत देख रहा था सांप सोचने लगा काश मैं इस चूहे को खा पाता और चूहा सोच रहा था अब तो मैं गया यह सांप मुझे निगल जाएगा अब यह देखकर दोनों उल्लू चौंक गए एक उल्लू ने दूसरे से पूछा भाई समझ नहीं आ रहा यह क्या हो रहा है सांप खुद किसी और के मुंह में फंसा है मौत उसके बस एक कदम दूर खड़ी है फिर भी उसे डर नहीं लग रहा बस चूहे को देखकर ललचा रहा है और चूहा जो अब तक बचा हुआ है वो तो ऐसे कांप रहा है जैसे सांप की नजर ही उसे खत्म कर देगी दूसरे उल्लू ने मुस्कुराकर कहा अब समझ में आया असली ताकत डर में है या मौत में असल में मौत तो एक बार आती है लेकिन डर वो हर दिन मारता है और हर पल कमजोर करता है उल्लू ने धीरे से कहा मौत से बड़ा डर वो होता है जो हमें जीते जी मार देता है और जो डर हमें अंदर से तोड़ देता है वो असली मौत से भी ज्यादा खतरनाक होता है जरा सोचो हमारी जिंदगी भी ऐसी ही होती है ना कभी हम कोई बड़ा सपना देखते हैं कुछ बड़ा करने का सोचते हैं लेकिन तभी हमारे अंदर से एक आवाज आती है क्या होगा अगर मैं फेल हो गया लोग क्या कहेंगे अगर सब कुछ बिगड़ गया तो और हम पीछे हट जाते हैं कुछ करने से पहले ही हार मान लेते हैं कई बार तो हालात भी उतने खराब नहीं होते जितना हम डर कर उन्हें बना लेते हैं हम खुद को रोकते हैं खुद को छोटा समझते हैं और खुद ही अपनी सोच से हार मान लेते हैं पर वो जो सांप था ना उसने बता दिया कि अगर इच्छा शक्ति मजबूत हो तो मौत भी सामने हो तब भी इंसान जीत सकता है और वह जो चूहा था उसने बता दिया कि अगर मन में डर बैठ जाए तो बिना कुछ हुए ही इंसान हार मान सकता है तो फैसला तुम्हें करना है तुम सांप की तरह बनोगे जो आखिरी वक्त तक भी हार नहीं मानता या चूहे की तरह बनोगे जो डर से खुद ही टूट जाता है याद रखना दोस्त मौत एक बार आती है लेकिन डर हर दिन मारता है इसीलिए डरो मत जियो और लड़ो क्योंकि जो डर से जीत गया वह जिंदगी से कभी नहीं हारता दोस्तों इस कहानी की कौन सी लाइन आपको सबसे ज्यादा अच्छी लगी कमेंट में जरूर बताना और अगर कहानी अच्छी लगी हो तो लाइक करके चैनल को सब्सक्राइब कर लेना मिलते हैं अगली कहानी में
1) https://youtu.be/7Rc0jVAI364?si=Hn4nYLKoraCZ1tB_
क्या आपने कभी सोचा है क्यों कुछ लोग हमारी जिंदगी रोशन कर जाते हैं और कुछ सिर्फ अंधेरा छोड़ जाते हैं। आज की यह कहानी शायद आपकी सोच बदल देगी और आपको जिंदगी जीने का एक अनोखा तरीका सिखाएगी बहुत समय पहले की बात है एक गुरु जी अपने शिष्यों के साथ गंगा किनारे बसे गांव में रहते थे एक दिन वहां एक मुसाफिर आया और गुरु जी से पूछ बैठा महात्मा जी इस गांव में कैसे लोग रहते हैं गुरु जी बोले पहले तुम बताओ तुम जहां पहले थे वहां कैसे लोग रहते थे मुसाफिर बोला वहां लोग बहुत धूर्त कपटी और बुरे थे गुरु जी मुस्कुराए और बोले तो यहां भी वैसे ही लोग मिलेंगे गुरु जी की यह बातें सुनकर मुसाफिर चला गया और थोड़ी देर बाद एक दूसरा राहगीर आया और उसने भी महात्मा जी से वही सवाल पूछे महात्मा जी इस गांव में किस तरह के लोग रहते हैं और गुरु जी भी वही सवाल पूछ लिए कि तुम्हारे पिछले गांव में कैसे लोग रहते थे राहगीर ने मुस्कुरा कर कहा वहां के लोग बहुत अच्छे मददगार और सच्चे दिल वाले थे और हमेशा साथ देते थे गुरु जी बोले तो यहां भी तुम्हें वैसे ही लोग मिलेंगे गुरु जी के जवाब सुनकर उनके सभी शिष्य हैरान हो गए एक शिष्य अचानक आगे आकर बोल पड़ा गुरु जी मुझे समझ नहीं आ रहा कि आपने दोनों राहगीरों को एक ही गांव के बारे में अलग-अलग बातें क्यों बताई आपने पहले वाले को कहा कि यहां लोग बुरे मिलेंगे और दूसरे वाले को कहा कि यहां अच्छे लोग मिलेंगे आखिर इन दोनों को अलग-अलग जवाब देने का कारण क्या था गुरु जी मुस्कुराए और शिष्यों की तरफ देखकर बोले देखो जीवन में हम जो खोजते हैं वही हमें मिलता है पहला मुसाफिर अपने अनुभव और सोच के कारण हमेशा बुराई ही देखता है और उसे हर जगह वही दिखेगा और दूसरा मुसाफिर वो हर जगह अच्छाई ढूंढता है और जहां जाता है वहां उसे दिल के अच्छे लोग ही मिलते हैं दुनिया जैसी है वैसी ही रहती है फर्क हमारी नजर और सोच का होता है इसीलिए मैंने दोनों को उनकी सोच के हिसाब से ही जवाब दिया गुरु जी की बात सुनकर से समझ गए कि असली बदलाव हमारे नजरिए में है ना कि दुनिया में क्या आपको भी लगता है कि लोग बुरे हैं या फिर आप खुद अच्छाई ढूंढना भूल गए हैं अपनी सोच को बदलिए दुनिया खुद बदल जाएगी नीचे कमेंट में बताइए आपने कब किसी की अच्छाई देखी है या महसूस की है जिसने आपकी जिंदगी बदल दी।
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