Akbar and birble
https://youtu.be/2-C08LhU5mM?si=y979L0K0itYSu5oZ
बाबा भूत बुलैया एक बार राज्य में लोगों की लंबी कतार बाबा भूत बुलैया नाम के शख्स से मिलने उमड़ी थी। उनका दावा था कि वो किसी भी आत्मा से संपर्क कर सकते हैं। >> चिंता मत करो व। तुम्हारी पर पर दादी की आत्मा को हम अभी प्रकट करते हैं। बेटा सुरेश [संगीत] >> दादी आप हमका छोड़कर क्यों चली गई थी? >> नाटक मत कर। तू यह पूछने आया है ना कि मैंने सोने से भरे मटके को कहां छुपाया है? >> वो हां दरअसल वो भी तो है। >> बताती हूं। पर एक शर्त पर पहले तुम्हें 30 सोने के मोहरे पीपल के पेड़ के पीछे गाड़ने होंगे। अब जाओ। >> हां, ठीक है दादी। >> सुरेश तो वहां से चला गया। फिर एक-एक कर वहां लोग आते और अपने प्रियजनों की आत्मा से अपने मतलब की बात पूछकर चले जाते। धीरे-धीरे बाबा के किस्से पूरे राज्य में बेहद प्रसिद्ध होने लगे। अगले दिन महल के बाहर लंगर रखा गया था। वजह थी बादशाह के पिता बड़े बादशाह हुमायूं का जन्मदिन। >> अब्बा जान कितनी ही शहरत क्यों ना कमा लूं। पर आपकी कमी हमेशा खलेगी। याद है? हम जब छोटे थे हमारे जन्मदिन पर कितनी बड़ी पार्टी रखी थी आपने। और हां वो विदूषक विधु विनोद चाचा जो आपकी नकल से सबका मनोरंजन किया करते। काश आज आप यहां होते। हमें आपसे और बहुत बातें करनी थी। >> और तभी शातिर मंत्री ने उनकी यह बात सुन ली। >> बस इतनी सी बात। आपने अपने अब्बा से बात करने की जो इच्छा जताई है, उसे हम पूरा कर सकते हैं। >> वो कैसे? >> बस थोड़ा वक्त दीजिए। मैं अभी किसी को बुलाकर लाता हूं। इस नाचीज को बाबा भूत भुलैया के नाम से जाना जाता है। >> हम बाबाओं पर भरोसा नहीं करते। >> आ हा जिले लाई। यह बहुत माने हुए बाबा हैं। दूर-दूर गांव से लोग इन्हें आत्मा से बात करने के लिए बुलाते हैं। >> हम नहीं मानते। >> पर पर पर हां हां हां कोई बात नहीं मंत्री जी। ये काम हम पर छोड़ दो। इन ब्रिम वैनिला आइसक्रीम भूतों का मंत्र। कौन है मेरे अंदर? नोक नोक। बेटा को अरे यह तो हमारे अब्बा जान की आवाज है। सही कहा। मैं ही हूं बेटा। >> ये देख तो बादशाह को तो कुछ समझ नहीं आ रहा था। >> तुम हमारे पिताजी की आवाज कैसे निकाल रहे हो? >> क्योंकि बड़े बादशाह की रूह बाबा ने अपने अंदर संभाली है। >> हमें हमें यकीन नहीं हो रहा। क्या सचमुच आप अब्बा की रूह हो? अ हम कैसे मान लें? तुम्हारा शक लाजमी है बेटा अक्कू। एक बादशाह को इसी तरह रहना चाहिए। पर याद है तुम्हारे 10वें जन्मदिन पर हमने तुम्हें एक घोड़ा तोहफे में दिया था। जिसको काबू करते-करते तुमने सारे राज्य में हड़कंप मचा दिया था। हां हां अच्छे से याद है हमें। >> चलो यह बात तो फिर भी सबको पता थी। पर याद है वो नायाब हीरे की अंगूठी जो हमने तुम्हें उस घोड़े को काबू करने की खुशी में दी थी। तब तो वहां बस तुम मैं और विदु विनोद चाचा थे। >> बादशाह ने भावुक होके उसी अंगूठी को सहलाया। उनकी आंखें नम हो गई। इतनी निजी घटना का जिक्र सुन उन्हें यकीन हो गया कि बाबा के जरिए सचमुच उनके पिताजी की आत्मा बोल रही है। वो अपने तख्त से खड़े हो गए। और उन्होंने जाकर बाबा को गले लगा लिया। >> अब्बा जान आप कैसे हो अब्बा जान? मैं ठीक हूं बेटा। पर यह बात फिलहाल हम तीनों में ही रखना। किसी और को पता नहीं चलना चाहिए। कैसी बात? और ये कौन है? वो दरअसल बीरबल अब तुमसे क्या छुपाना? नहीं अक्कू। माफ करना अब्बा जान। पर जिस तरह आप विदु चाचा से कोई बात नहीं छुपाते थे। उसी तरह हम भी बीरबल पर पूरा भरोसा करते हैं। >> फिर बादशाह ने बीरबल को पूरी घटना बताई कि कैसे उन्हें यकीन है कि बाबा में उनके अब्बा की आत्मा है। और फिर बीरबल बोले >> ओ तो ये बात है। वो दरअसल कुछ साल पहले मेरी पत्नी की चाची अपनी आखिरी इच्छा बताए बिना ही स्वर्ग चली गई थी। क्या तुम उनके बारे में कुछ बता सकते हो? >> फिर बाबा ने कुछ मंत्र पढ़े और कहा, >> बीरबल बेटा मेरी आखिरी इच्छा यह है कि तुम नौ लालखाह हार पीपल के पेड़ पर चढ़ा दो। >> और बीरबल ने उन्हें गंभीरता से देखा और कहा >> ठीक है। क्या तुम्हें इस पर कोई आपत्ति, शक दुविधा कुछ नहीं। मुझे क्यों आपत्ति होगी भला? बादशाह की खुशी से बढ़कर और क्या हो सकता है? चलो जाकर हलवा भी बांटना है। >> ये कहकर बीरबल वहां से चले गए और शाकिर और अकबर उनका यह रवैया देख अपना सिर खुजाते रह गए। पर बाबा ने सोचा >> चलो अच्छा है। बीरबल टांग नहीं अड़ाएगा। अब देखना कैसे मैं इस राज्य पर कब्जा करता हूं। फिर क्या आगे चलकर बाबा ने हुमायूं के कई राज अकबर से सांझा किए जिससे बादशाह का भरोसा उन पर बढ़ता ही गया और अब वो उनके पिता की तरह ही बर्ताव करने लगे। >> अक्कू अभी तक सो रहे हो। >> आ चलो उठकर काम करो। जी, जी अब्बा जान। अकू दिन भर महल में घूमने से अच्छा कोई पार्ट टाइम नौकरी क्यों नहीं कर लेते? >> जी जी अब्बा जान। >> अक्कू, इस महीने की कमाई का हिसाब कहां है? हां हां अभी बताता हूं अब्बा जान। पर हद तो तब पार हो गई जब एक दिन बादशाह बाबा के पांव दबा रहे थे और >> बेटा अकू हमें लगता है तुम्हें हमारा कोई सम्मान नहीं है ये आप क्या कह रहे हैं अब्बा जान क्या मेरी सेवा में कोई कमी रह गई सेवा तो तुमने बहुत की अकू पर हमारी एक आखिरी इच्छा रह गई है आप बस हुकुम कीजिए अब्बा सारी दुनिया ला दूंगा मैं। दुनिया का तो पता नहीं। पर हम सोच रहे थे कि इस राज्य की भागदौड़ हमारे हाथ आ जाए। >> यह सुन तो बादशाह पहले दंग रह गए। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करें। पर पिता के मोह में आकर उन्होंने निर्णय कर ही लिया। >> ठीक है अब्बा जान। हम कल सवेरे ही आपके ताजपशी का ऐलान करते हैं। >> अरे वाह हो गया काम। >> अगली सुबह इस घोषणा से राज्य में हाहाकार मच गया। तमाम मंत्रियों के मनाने के बावजूद अकबर एक ना माने। और बाबा के ताजपशी का वक्त आ गया। अकबर ने अपनी पगड़ी निकाली और बाबा को पहनाने ही वाले थे कि ठहरो विदु चाचा आप बेटा अकू मैं तुमसे यहां माफी मांगने आया हूं। माफी पर क्यों अपने बेटे की गलतियों की आपका बेटा अब कौन है और क्या किया है उसने? ये बाबा भूत भुलैया यानी मेरा बेटा। क्या? हां। वो दरअसल विधु चाचा ने सबको बताया कि जब वो महल से काम खत्म कर घर लौटते तो दिन भर की घटना को आकर लिख देते ताकि हुमायूं पर एक किताब छप सके। पर हुमायूं के मृत्यु के बाद उनका उस किताब से मन हट गया। लेकिन वो किताब एक दिन उनके बेटे के हाथ लग गई। फिर क्या? उस जानकारी को उसने यहां आकर इस्तेमाल कर लिया। हुमायूं की आत्मा बनकर। क्या? इतना बड़ा धोखा। जी हां। बड़ी चालाकी से उसने पहले गांव वालों का भरोसा जीता ताकि महल आने का रास्ता साफ हो सके। पर उस दिन जब मैंने इसे अपनी बीवी के चाची की आत्मा के बारे में पूछा, तो इसने जानकारी तो बेहद दी। पर उसे यह नहीं पता था कि मेरी पत्नी की कोई चाची थी ही नहीं। और चाची ही नहीं होगी तो उसकी आत्मा कहां से आएगी। तब मैं समझ गया कि कुछ तो गड़बड़ है। फिर मैं बड़ी महारानी से मिलने गया जिनके जरिए मैं विधु चाचा से मिला। जिन्होंने बाबा की सारी कुंडली खोल दी। ये सुन तो बादशाह गुस्से से आग बबूला हो गए। सैनिकों पकड़ लो इस पाखंडी को और काल कोठरी में डाल दो हमेशा हमेशा के लिए। पर इसमें गलती सिर्फ बाबा की नहीं महाराज हमारी भी है जो इन चीजों पर आंख बंद कर विश्वास कर लेते हैं। सही कहा बीरबल हम आगे से सतर्क रहेंगे। और मैं सावधान। और इस तरह बीरबल ने एक बार फिर अंधविश्वास को दूर किया और हमने यह सीखा अंधविश्वास में आकर हम सब कुछ खो सकते हैं। और हां आज की चित्रकारी के विजेता है श्रुति अरोड़ा। नमस्कार दोस्तों आज की कहानी कैसी लगी? अगर पसंद आई तो लाइक बटन दबाना मत भूलना। और अगर आपके पास कोई सुझाव या अपने बनाए हुए चित्र हो तो उसे यहां लिखे गए आईडी पर जरूर भेजिएगा। टाटा।
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चूहों का हमला। एक अंधेरी रात जंगल में एक चूहा खाना तलाश कर रहा था और तभी उसे एक सुरीली धुन सुनाई दी। अगली सुबह बादशाह अकबर उनके दुश्मन राजा दुष्मंत मान के बारे में चर्चा कर रहे थे। क्या लगता है बीरबल? दुश्मन की अगली चाल क्या होगी? और तभी शातिर मंत्री दरबार में चीखतेच चिल्लाते हुए आए। बचाओ बचाओ बचाओ। अरे अरे अरे क्या हो गया मुख्यमंत्री जी किससे बचाओ चूहों से ये सुन तो कुछ पल के लिए वहां सन्नाटा छा गया और फिर सभी अचानक हंसने लगे खोदा पहाड़ निकला चूहा क्या मंत्री जी आप एक चूहे से डर गए एक नहीं बीरबल अनेक चूहे जिन्होंने पूरे राज्य में हमला कर दिया है राज्यों पर हमला क्या मतलब चलो बताता हूं फिर क्या जैसे ही बादशाह और उनकी टोली राज्य के बाजार पहुंचे वहां का नजारा देख दंग रह गए जहां नजर घुमाओ बस चूहों ने गदर मचा रखा था ये क्या अरे इतने चूहे अचानक कहां से आ गए? यही तो मैं कह रहा था बादशाह महान केवल गंदगी के कारण यह नहीं हो सकता। जरूर इसके पीछे कोई और वजह होगी। और तभी वही मधुर धुन वहां बजने लगी। सबने सामने देखा तो वहां एक शख्स बांसुरी बजाते हुए आ रहा था। और फिर वो बादशाह के सामने आके रुक गया। या सलाम सलाम बादशाह महान मैं हूं अफला अफला अफलातून अफलातून ये अफलातून अरे रे रे रे रे लगता है चूहों को भी तुम्हारा गाना पसंद नहीं आया। अब शांत रहो। अफरातून कहीं तुम वो तो नहीं जो अपने धुन से किसी भी प्राणी को वश में कर सकता है। यह सही पकड़े है। इसका मतलब यह चूहे तुम्हारी ही देन है। ऑलराइट मैंने ही यह चूहे यहां लाए हैं। और क्यों? क्योंकि मैंने इस राज्य की सुपारी ली है। सुपारी। कौन सी दुकान से? अबे खाने वाली नहीं ठिकाने लगाने वाली। पर तुम्हें हमारी सुपारी किसने दी? यो तुम्हारे दुश्मन राज्य से राजा दुष्मंत मान ने। क्या? पड़ोसी राजा ने जंग का निकाला है नया तरीका चूहे के जरिए यहां पर प्लेग महामारी फैलाने का। क्या? अरे रे रे रे अभी तो एक महामारी खत्म हुई थी। अब एक और मैं सह नहीं सकता। वो तो ठीक है। पर तुम यह सब हमें क्यों बता रहे हो? क्योंकि महाराज दुष्यंत मान ने मुझे बताया था कि तुम एक जालिम और पत्थर दिल शासक हो। पर जब मैंने यहां लोगों से बात की तो पता चला कि आप एक दयालु और जिंदा दिल राजा है जो सबका सम्मान करते हैं। वो तो बस जनता का प्यार है। और आपके सलाहकार बीरबल की तारीफ सुनके तो मेरे आंसू निकल गए। >> हां अब मैं इतना भी खास नहीं। >> और और मैं मेरे लिए मेरे लिए क्या कहा? >> यही कि तुम पर मोटे वाले चूहे छोड़ना। ये सुन तो वहां सारे हंसने लगे। >> सच बताने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। पर अब कृपया इन चूहों को वापस ले जाए। >> ना ना एक बार मैं ने सुपारी ले ली तो मैं अपने आप की भी नहीं सुनता। >> ए कैसे नहीं सुनोगे? हम अच्छे-अच्छों से अपना काम निकाल सकते हैं। हां। >> ओ ये है। कोशिश तो कीजिए। फिर देखना मैं चूहे तो क्या बंदर शेर हाथी भी इस राज्य में लाके छोड़ दूंगा। >> इनकी बात का बुरा मत मानना। अफलातून जी क्या इसका कोई उपाय >> उपाय ढूंढना अब आपका काम है। >> ऐ यो मैं चलता हूं राजवासियों। कभी घर से चूहे कीड़े मकोड़े भगाने हो तो जरूर संपर्क करना। यह क्या बला थी भाई? आंधी की तरह आया और तूफान की तरह चला गया। >> वो भी हम सबको इन चूहे रूपी बला के साथ छोड़कर। >> अब इस मुसीबत का सामना कैसे करें? >> कुछ भी कर हमें इसका कोई समाधान ढूंढना ही होगा। वरना इसमें अगर कोई चूहा बीमार निकला तो सारे राज्य को तबाह कर देगा। महाराज मेरे पास एक तरकीब है। क्यों ना हम बिल्लियां लेकर आए। हैं? >> हम मस्त प्लान है। >> फिर क्या राज्य में कई बिल्लियां लाई गई। पर चूहों की इतनी बड़ी तादाद देख वो भी डर गई और वहां से भाग गई। >> यह योजना तो नाकाम हो गई। अब क्या करें? >> अब चूहे पकड़ने वाले पिंजरे लगाते हैं। हम ये भी योजना नाकाम अब क्या करें? अब हां तानसेन तानसेन अफलातून की तरह तुम्हारे संगीत में भी प्रकृति को काबू करने की शक्ति है। तो कोई राग गाओ और चूहे भगाओ। वैसे तो मेरी शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। पर मैं कोशिश करता हूं। चूहा भगाओ चूहा भगाओ। चूहा चू चूहा भगाओ। फिर क्या अब तो महल के भीतर तक चूहे आ गए थे। मामला और भी बिगड़ गया है। जल्दी कुछ सोचो वरना ये चूहे पूरा राज्य खा जाएंगे। बीरबल तुम भी तो कुछ सोचो ना। हर वक्त मैं ही समस्या सुलझाते बैठूं क्या? अब तो बस एक ही शख्स इस समस्या से छुटकारा दिला सकता है। मैं आपसे पहले ही कह चुका हूं। मेरे उसूल मुझे सुपारी वापस लेने की इजाजत नहीं देते। एक बार जिस राज्य में मैंने चूहे फैला दिए वहां से मैं किसी भी हाल में उन्हें नहीं निकालता। >> बात तो सही है पर हम तुम्हें चूहे यहां से भगाने के लिए नहीं कह रहे। >> तो फिर उन्हें बस एक जगह बुलाने के लिए कह रहे हैं। >> क्या मतलब? बस आओ मेरे साथ। >> फिर क्या? बीरबल उन्हें एक गोदाम के बाहर ले आए। >> बस अब आप सारे चूहों को हमारे इस गोडाउन में बुलाओ। इसके अंदर हमने चूहों के लिए भोजन की व्यवस्था की है। इससे आप उन्हें इस राज्य के बाहर भी नहीं भेजोगे और आपके उसूल भी नहीं टूटेंगे। >> यो ठीक है। >> फिर क्या अफरातून ने अपनी बांसुरी बजाना शुरू की। और किसी चमत्कार की तरह एक-एक कर चूहे गोदाम में जाने लगे। और जैसे ही आखिरी चूहा भीतर चला गया। बीरबल ने तुरंत गोदाम का दरवाजा बंद कर लिया। >> आधा काम हो गया। >> यो आधे से क्या मतलब है आपका? >> वो दरअसल हमने उस गोडाउन के अंदर से एक बहुत बड़ी सुरंग बनवा दी है। जिससे चूहे गोडाउन से निकल कर कहीं और जा सकते हैं। कहीं और पर कहां? वो वो एक राज है। हां राजा दुष्मंत इस बार तो आपने अकबर के राज्य की छुट्टी ही कर दी। अब जल्द ही जीत हमारी होगी। हमारे जैसा होशियार इस दुनिया में कोई है ही नहीं। अरे ये चूहा कहां से आ गया है? >> और तभी उनका एक सिपाही दौड़ा चला आया। राजा दुश्मन राजा दुश्मन क्या हुआ वो दरअसल >> क्या गोडाउन के जरिए सारे चूहे हमारे राज्य में घुस रहे हैं। पर कैसे? >> वो आप सब जाने दो। बस आपसे दरख्वास्त है कि दोबारा हमारे राज्य पर यह मुसीबत मत लाना। या ये या ये मैं वादा करता हूं। शुक्रिया। वाह बीरबल। सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी। >> और इस तरह बीरबल ने चूहों और दुश्मन से राज्य को बचा लिया। और हमने यह सीखा दूसरों के लिए बुरा सोचोगे, तो खुद के साथ भी बुरा ही होगा। >> और हां आज की चित्रकारी के विजेता हैं अशनीत सिंह। नमस्कार दोस्तों, आज की कहानी कैसी लगी? अगर पसंद आई तो लाइक बटन दबाना मत भूलना। और अगर आपके पास कोई सुझाव या अपने बनाए हुए चित्र हो तो उसे यहां लिखे गए आईडी पर जरूर भेजिएगा। टाटा।
https://youtu.be/KbEv2LDLq5k?si=hDfVkq8a2E1BdHPn
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https://youtu.be/pr97WlKUfvs?si=XoDcAli7f0c0VlUA
सब गोलमाल है। एक मीठी सी सुबह जब बादशाह अकबर अपने तख्त पर बैठे मीठेमीठे अंगूर खा रहे थे तब अचानक न्याय की घंटी की जोरदार आवाज ने उनका मजाक किरकिरा कर दिया। ये कौन इतने जोरों से न्याय की घंटी बजा रहा है? सिपाहियों उसे पेश किया जाए। और तभी वहां भोलू और झोलू एक सोने से लदे हुए जमींदार के साथ दरबार में हाजिर हुए। जिन्हें देख बीरबल बोले अरे झोलू भोलू कहीं तुम दोनों भाई फिर खेत के बंटवारे को लेकर लड़ तो नहीं रहे। नहीं बीरबल जब खेत ही नहीं रहा तो कैसे लड़ाई? क्या मतलब? महाराज इस टोपीबाज कारोबारी गोलू गोलमाल ने धोखे से हमारा खेत हड़प लिया है। यह सरासर झूठ है महाराज। मैंने इनका खेत हड़पा नहीं बल्कि इन्होंने खुद उसे मेरे नाम किया है। यह देखिए उसके कागज पत्र जिस पर इन दोनों के दस्तखत भी है। बीरबल ने उन जमीनी कागजात को गौर से देखा। जिस पर उन दोनों ने दस्तखत किए हुए थे। हम्म। कागज तो असली है। पर क्या यह दस्तखत तुम्हारे ही है? जी जी हां बीरबल। यह दस्तखत तो हम दोनों के ही है। पर क्या? पर हम दोनों को याद नहीं आ रहा कि हमने खेत गोलू गोलमाल के नाम कब किया था। क्या? तुमने किसी को अपना खेत दे दिया और तुम्हें याद तक नहीं। पर मुझे सब याद है। यह झोलू कुछ दिन पहले सट्टेबाजी में अपना और अपने भाई का सारा पैसा हार गया था। उसे बाहर निकालने के लिए इसने अपना और अपने भाई का खेत मुझे बेच दिया था। अब दोनों मिलकर मुझे बेवकूफ बना रहे हैं। नहीं महाराज, हम इसके पास तो केवल खेत के लिए कर्ज मांगने गए थे। उसके बाद हमें कुछ याद नहीं। हम यह समस्या तो काफी पेचीदा लग रही है। पता नहीं कौन सच कह रहा है और कौन झूठ। अरे आप सबूत देखिए ना। उससे ज्यादा दरबार को और क्या चाहिए होता है। बात तो सही है। सबूत यही कहता है कि वो खेत अब गोलू गोलमाल का है। पर परवर कुछ नहीं। फैसला हो चुका है। तक लिया। अकबर का फैसला सुन झोलू और भोलू अपना सिर झुकाए नम आंखों के साथ दरबार से चले गए। उन्हें देख बीरबल गहरी सोच में पड़ गए। हम अगर बात सिर्फ झोलू की होती तो मैं मान भी लेता। पर भोलू एक जिम्मेदार इंसान है। वो झूठ नहीं बोल सकता। इस गोलू गोलमाल की कुंडली निकालनी पड़ेगी। इस दुनिया में कोई नहीं जो मुझे गलत साबित कर पाए। फिर क्या अगले कई दिन दरबार में यही सिलसिला चलता रहा। कोई ना कोई आकर गोलू पे उनकी जमीन जायदाद हड़पने का इल्जाम लगाता। जिसके बारे में उन्हें कुछ याद नहीं था। मगर गोलू हर बार सबूत दिखाकर अपनी बेगुनाही साबित कर लेता। हर वक्त गुनहगार कुछ ना कुछ सबूत छोड़ता है। पर यहां तो उल्टा ही है। गोलू अपनी बेगुनाही का सबूत पहले ही पेश कर देता है। समझ नहीं आ रहा यह कर कैसे रहा है। वाकई ये इंसान तो बेहद चालाक है। अरे इससे पहले ये बीरबल मेरे रास्ते का कांटा बन जाए। इसका पत्ता कट करना होगा। अब देखना मैं क्या करता हूं बीरबल। अ महाराज, अगर आपकी इजाजत हो, तो क्या मैं आपसे अकेले में कुछ बात कर सकता हूं? इजाजत है। उन्होंने बीरबल की ओर इशारा किया। जो चुपचाप वहां से चले गए। अब खेलूंगा मेरा सबसे बड़ा दांव। अगली सुबह बीरबल बादशाह से गोलू के विषय पर चर्चा करने पहुंचे। महाराज इतने सारे लोगों का एक ही शख्स पर इल्जाम लगाना महज एक इत्तेफाक की बात नहीं हो सकती। क्या लगता है आपको? हमें लगता है कि तुम गोलू से जलते हो क्योंकि वो तुमसे ज्यादा होशियार है। अकबर की यह बात सुन बीरबल को गहरा धक्का लगा। क्या? महाराज ये अब क्या कह रहे हैं? अच्छा तो अब तुम हमें सिखाओगे कि क्या बात करनी चाहिए। तुम हमारे नौकर हो। नौकर ही रहो। अकबर का यह बदला रूप देख बीरबल के तो कुछ समझ नहीं आ रहा था। महाराज, यह आप आज कैसा व्यवहार कर रहे हैं? एक मामूली सेवक की इतनी हिम्मत कि वो हमारे रवैया पर सवाल उठाए। दफा हो जाओ यहां से। और गलती से भी यहां दोबारा दिखाई दिए, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। यह सुन बीरबल के तो मानो पैरों तले जमीन ही खिसक गई। परंतु उस वक्त उन्होंने अपने आत्मसम्मान के लिए वहां से चले जाना ही ठीक समझा। सोच में डूबे बीरबल भरे बाजार से जा रहे थे। तभी अचानक उनकी टक्कर गोलू गोलमाल से हुई। तुम हां मैं आज तो तुमने बस नौकरी से हाथ धोए हैं बीरबल। अगर मेरे रास्ते में आने की कोशिश की तो अपना सब कुछ खो बैठोगे। याद रखना। ये कहकर गोलू वहां से चला गया और बीरबल ने सोचा। अरे इसे कैसे पता चला कि मुझे नौकरी से निकाल दिया गया है। कहीं इसमें इसी का हाथ तो नहीं। पर कैसे? कुछ समझ नहीं आ रहा। तभी बीरबल की नजर रास्ते पर जादू का खेल दिखाते एक शख्स पर पड़ी जिसके हाथों में एक फड़फड़ाती मुर्गी थी। उस जादूगर ने उस मुर्गी को जमीन पर रखा और उसके इर्द-गिर्द एक गोल आकार बना दिया। और फिर वो मुर्गी एकदम शांत से वहां उसी मुद्रा में पड़ी रही। यह देख बीरबल के मन में एक विचार आया। ओ इस तरह से तो मैंने सोचा ही नहीं था। अब इस दिशा में इस गोलू की जांच पड़ताल करके देखता हूं। फिर बीरबल तुरंत जाकर बिरजू जासूस से मिले और उन्होंने उसे एक योजना के बारे में बताया। बस वैसे ही करना जैसे मैंने कहा है। ठीक है। ए बीरबल जी तुम चिंता ना करो। काम हो जाएगा समझो। हां। हम बस अब उम्मीद है तीर निशाने पर लगे वरना यह राज्य का मालिक गोलू गोलमाबाल बन जाएगा। फिर क्या योजना के मुताबिक बिरजू गरीब किसान बनकर गोलू से कर्ज मांगने पहुंचे। ए गोलू सेठ बीवी साठी नया 9 लाख का हार बनवाना है। उसके सा पैसे चाहिए थे। मैं जमीन के कागज गिरवी रखने के लिए लाया हूं ना। बिल्कुल मिल जाएगा। बस अब जैसा मैं कहता हूं वैसे करो। ओह तो यह बात है। अब फोड़ता हूं इस गोलू का भांडा। अगली सुबह बीरबल जोर-जोर से न्याय की घंटी बजाने लगे। उनकी आवाज से तंग आकर अकबर ने उन्हें दरबार में बुलाने का हुकुम दिया। क्यों आए हो तुम यहां? हमने तुम्हें मना किया था ना। महाराज मैं इस वक्त आपके सलाहकार बीरबल के हैसियत से नहीं बल्कि इस राज्य के सामान्य नागरिक महेश दास की हैसियत से आया हूं। हम्म ठीक है। तुम्हारी समस्या हमारे नए सलाहकार सुलझाएंगे। और तभी वहां आया। मैं हूं बादशाह का नया सलाहकार। राजा गोलू गोलमाल। क्या? मुंह बंद करो और अपनी समस्या बताओ। मुझे और भी बहुत काम है। राजा गोलू अच्छा हुआ आप ही यहां आ गए। आपके बिना यह समस्या हल नहीं होगी। अरे वो क्यों भला? बताता हूं। पर उससे पहले मैं आपसे गले मिलकर आपका तहे दिल से शुक्रिया करना चाहता हूं। वो क्यों भला? हां हां बताता हूं। पहले गले तो मिल लीजिए। और फिर बीरबल ने उसे जोर से गले लगाया। अरे अरे अरे ठीक है ठीक है हां शुक्रिया मेरा काम हो गया कैसा काम बस तुम्हारे गले से ये यंत्र निकालना था मेरा यंत्र सैनिकों सैनिकों पकड़ लो इसे जैसे ही सैनिक आगे बढ़े बीरबल ने उस यंत्र को जोर से जमीन पर पटक दिया। नहीं और उसके टूटते ही आसपास सभी मानो किसी नींद से जाग गए। बीरबल ये क्या हाल बना रखा है और ये गोलू यहां क्या कर रहा है? गोलू समझ गया था कि उसका खेल खत्म। इसलिए उसने वहां से निकलने का सोचा। पर सिपाहियों ने उसे रोक लिया। महाराज जो समस्या राज्यवासियों को सता रही थी उसका समाधान ढूंढने के लिए मैंने बिरजू जासूस को इसके दफ्तर भेजा और वहां ठीक है। अब तुम वही करोगे जो मैं कहूंगा। चुपचाप इस कागज पर दस्तखत करो और अपनी सारी जायदाद मेरे नाम कर दो। ओह तो यह बात है। तो इस तरह यह लोगों को सम्मोहन की विद्या से अपने वश में करता और उनसे मन मुताबिक काम करवाता। बाद में उसका असर खत्म भी हो जाता। पर उस बीच क्या हुआ वो किसी को भी याद नहीं रहता। ओह यह तो बड़ी घटिया हरकत है। बिल्कुल महाराज वो तो अच्छा हुआ। मैंने वक्त रहते ही इसका यंत्र तोड़ दिया। वरना यह तो पूरा का पूरा राज्य हड़प जाता। यह सुन गोलू समझ गया। अब उसका गोलमाल और नहीं चलेगा। उसने चुपचाप सबसे माफी मांगी। मुझे माफ कर दो बादशाह। मैंने अपने सम्मोहन करने की विद्या का गलत फायदा उठाया। माफ कर दो। इतने घटिया इंसान को माफी नहीं मिल सकती। सैनिकों सबसे पहले तो इसकी सारी जायदाद हड़प कर लोगों को उनका हक लौटाया जाए और फिर इसे काल कोठरी में डाल दो हमेशा हमेशा के लिए और इस तरह बीरबल ने राज्य को गोलू के वश से मुक्ति दिलाई और हमने यह सीखा कि किसी भी विद्या का इस्तेमाल गलत कामों के लिए नहीं करना चाहिए और हां आज की चित्रकारी के विजेता है रवि कुमार झरिया। नमस्कार दोस्तों, आज की कहानी कैसी लगी? अगर पसंद आई तो लाइक बटन दबाना मत भूलना। और अगर आपके पास कोई सुझाव या अपने बनाए हुए चित्र हो तो उसे यहां लिखे गए आईडी पर जरूर भेजिएगा। टाटा।
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