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Showing posts from September, 2025

Akbar and birble

https://youtu.be/2-C08LhU5mM?si=y979L0K0itYSu5oZ बाबा भूत बुलैया एक बार राज्य में लोगों की लंबी कतार बाबा भूत बुलैया नाम के शख्स से मिलने उमड़ी थी। उनका दावा था कि वो किसी भी आत्मा से संपर्क कर सकते हैं। >> चिंता मत करो व। तुम्हारी पर पर दादी की आत्मा को हम अभी प्रकट करते हैं। बेटा सुरेश [संगीत] >> दादी आप हमका छोड़कर क्यों चली गई थी? >> नाटक मत कर। तू यह पूछने आया है ना कि मैंने सोने से भरे मटके को कहां छुपाया है? >> वो हां दरअसल वो भी तो है। >> बताती हूं। पर एक शर्त पर पहले तुम्हें 30 सोने के मोहरे पीपल के पेड़ के पीछे गाड़ने होंगे। अब जाओ। >> हां, ठीक है दादी। >> सुरेश तो वहां से चला गया। फिर एक-एक कर वहां लोग आते और अपने प्रियजनों की आत्मा से अपने मतलब की बात पूछकर चले जाते। धीरे-धीरे बाबा के किस्से पूरे राज्य में बेहद प्रसिद्ध होने लगे। अगले दिन महल के बाहर लंगर रखा गया था। वजह थी बादशाह के पिता बड़े बादशाह हुमायूं का जन्मदिन। >> अब्बा जान कितनी ही शहरत क्यों ना कमा लूं। पर आपकी कमी हमेशा खलेगी। याद है? हम जब छोटे थे हमारे जन्मदिन पर...

Short Motivational Story

20  https://youtu.be/waFRrZe3T9g?si=qtuV9jguqImeJwQR एक समय की बात है। एक छोटे से गांव में एक बुजुर्ग औरत रहती थी। उसके बाल चांदी जैसे सफेद थे और चेहरा हल्की-हल्की झुर्रियों से भरा हुआ था। पर उसकी आंखें उसकी आंखों में एक खास चमक थी। एक अपनापन था, एक सुकून था। गांव के लोग उसे बहुत मानते थे। वो हमेशा मुस्कुराती रहती। चाहे वक्त कितना भी मुश्किल क्यों ना हो। वो अकेली रहती थी। उसका पति कई साल पहले गुजर चुका था और बच्चे कोई थे नहीं लेकिन कभी उसने शिकायत नहीं की। वो अक्सर अपने छोटे से घर के बाहर एक बड़े बरगद के पेड़ के नीचे बैठती और गांव के लोगों से बातें करती और सबसे कहती मुस्कुराते रहो। गांव के लोग मेहनती थे। कोई किसान था, कोई बढ़ई तो कोई बाजार में काम करता था। कभी बारिश नहीं होती तो फसलें सूख जाती। कभी किसी के घर में बीमारी फैल जाती? जिंदगी आसान नहीं थी। और ऐसे में एक दिन एक युवती रोती हुई उस बुजुर्ग महिला के पास आई। कमला मां जी मैं क्या करूं? मेरे पति शहर गए हैं काम की तलाश में। ना पैसे भेजे हैं ना कोई खबर। बच्चे भूखे हैं और मैं डर रही हूं। बुजुर्ग महिला बैठ जा बेटी। और मुझे बता तू ...

motional

1)  https://youtu.be/G1Q93zUgYGE?si=dmu5zQgivrQaB4oo दोस्तों गांव की सुबह हमेशा एक जैसी होती थी। सूरज की पहली किरण जैसे ही मिट्टी की झोपड़ियों पर पड़ती, मुर्गे बांग देने लगते और खेतों की ओर जाते लोगों के कदमों की से पूरा गांव जाग उठता। ऐसे ही एक छोटे से गांव में अरव का जन्म हुआ था। अरफ का जन्म एक बेहद साधारण परिवार में हुआ। घर मिट्टी का था। ऊपर खपैल की छत और चारों ओर टूटी दीवारें। बरसात के दिनों में छत से पानी टपकता और पूरा परिवार एक कोने में सिमटकर रात गुजारता। पिता दिन रात दूसरों के खेतों में मजदूरी करते। सूरज निकलने से पहले ही खेतों की ओर निकल पड़ते और देर शाम तक मिट्टी में पसीना बहाते रहते। उनके हाथों पर पड़े छाले और दरारें उनकी मेहनत का सबूत थी। मां भी खेतों में मजदूरी करती। कभी खरपतवार निकालना, कभी धान रोपना, कभी गेहूं की कटाई। अगर खेत में काम ना मिलता तो घर पर पशुओं की देखभाल, गोबर से उपले बनाना और छोटी-मोटी सिलाई करके समय काटती। गरीबी उनके जीवन की पहचान थी। अक्सर घर में खाना पर्याप्त नहीं होता। कई बार ऐसा होता कि मां और पिता अपने हिस्से की रोटी छोड़ देते ताकि अरव भूखा ना सो...